नयी दिल्ली: ‘याबा’ नामक ड्रग्स की गोलियों की तस्करी की घटनाएं भारत में खतरनाक रूप से बढ़ रही हैं। बांग्लादेश से लगने वाली सीमा पर इनकी तस्करी की घटनाएं, फेंसिडाइल कफ सिरप से दोगुनी से अधिक हो गई हैं जिससे सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े हो गए हैं और उन्हें इस नई चुनौती से निपटने के लिए नए तरीके ढूंढने पर विवश होना पड़ा है। सरकार की ओर से जारी रिपोर्ट और अधिकारियों के माध्यम से यह जानकारी सामने आई। मादक पदार्थ याबा की गोलियों को ‘क्रेजी मेडिसिन’ भी कहा जाता है। एक केंद्रीय सुरक्षा संगठन द्वारा तैयार किए गए एक दस्तावेज के अनुसार वर्तमान में भारत इन लाल रंग की गोलियों की तस्करी के लिए पारगमन क्षेत्र है।
दस्तावेज में कहा गया कि जिस प्रकार इस नशीली दवा की भारत में आपूर्ति हो रही है उससे लगता है कि याबा को देश के नशा करने के आदी लोगों के वर्ग में पैठ बनाने में देर नहीं लगेगी। दस्तावेज के अनुसार याबा की ऊंची मांग के चलते, फेंसिडाइल कफ सिरप की तस्करी में शामिल लोग अब इन गोलियों का अवैध धंधा अपनाने लगे हैं।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, “पिछले दो साल में याबा की बड़ी खेप पकड़ी गई है जिसके बाद सीमा पार से इसकी तस्करी और हमारे देश के भीतर इन गोलियों के इस्तेमाल के संबंध में मादक पदार्थ रोधी एजेंसियों की चिंताएं बढ़ गई हैं। यह चिंताजनक है लेकिन एजेंसियां तैयार हैं।”
बीएसएफ के आंकड़ों के अनुसार भारत बांग्लादेश सीमा पर पिछले साल 7.22 लाख याबा गोलियां जब्त की गईं। इस दौरान, इसकी तुलना में फेंसिडाइल कफ सिरप की 3.08 लाख बोतलें बरामद की गईं। इस साल नवंबर तक सीमा सुरक्षा बल ने 6.65 लाख से ज्यादा याबा गोलियां जब्त की और इसकी तुलना में पांच लाख फेंसिडाइल बोतलें बरामद की गई। इससे पहले के वर्षों में फेंसीडाइल की तस्करी की घटनाएं याबा से हमेशा अधिक होती थीं।
बीएसएफ के एक अधिकारी ने बताया कि याबा गोलियों की तस्करी में ज्यादा मुनाफा है इसलिए अवैध रूप से नशीली सामग्री बेचने वाले अब इसका धंधा ज्यादा करने लगे हैं। अधिकारियों का कहना है कि गुणवत्ता और मांग को देखते हुए याबा 150 रुपये से एक हजार रुपये तक के बीच बिकती है।
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