7 साल में 30 बच्चियों का रेप और हत्या, लाश को भी बनाया अपनी हवस का शिकार
इस साइको रेपिस्ट और हत्यारे ने दिल्ली समेत नोएडा, ग्रेटर नोएडा, फरीदाबाद, बहादुरगढ़ और गाजियाबाद की कई मासूम बच्चियों को अपनी हवस का शिकार बनाया था।
नई दिल्ली: दिल्ली में से आज से कुछ वर्षों पहले एक साइको रेपिस्ट का बड़ा खौफ हुआ करता था। वह छोटी बच्चियों को अपनी हवस का शिकार बनाया करता था। दुष्कर्म के बाद वह उन्हें मौत के घात उतार देता था। उसका शिकार ज्यादातर गरीब घर की बच्चियां होती थीं, जोकि सड़क किनारे अपना जीवनयापन करती थीं। यह साइको रेपिस्ट साल 2015 में पुलिस के हाथ आया और आज गुरुवार को रोहिणी कोर्ट ने उसे उम्रकैद की सजा सुना दी। आरोपी का नाम रविन्द्र कुमार है और इस सीरियल किलर और रेपिस्ट को दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ने 6 मई को दोषी करार दिया था। हालांकि उसे यह सजा एक ही मामले में हुई है।
कौन है साइको रेपिस्ट रविन्द्र?
दिल्ली पुलिस ने साल 2015 में रविन्द को गिरफ्तार किया था। तब जांच में पता चला था कि रविंद्र ने साल 2008 में पहली घटना को अंजाम दिया। तब वह मात्र 15 साल का था। इसके बाद उसने अगले 7 वर्षों में 30 बच्चियों का रेप करके बेरहमी से हत्या कर दी। बताया जाता है कि रविन्द्र को भूतिया फ़िल्में देखने का शौक था। इस दौरान उसने एक दिन एक फिल्म देखि, जिसमें तीन लोग बच्चों की हत्या कर उनसे कुकर्म या दुष्कर्म करते थे। इस फिल्म ने उसके दिमाग पर गहरा असर डाला और वो भी ऐसा करने की सोचने लगा।
2014 में भी जेल गया लेकिन साल भर में ही मिल गई जमानत
2012 में वह अपने परिवार सहित दिल्ली के बेगमपुर में शिफ्ट हो गया। तब उसकी उम्र मात्र 19 वर्ष थी और वह लगातार घिनौने कांड को अंजाम दे रहा था लेकिन उसके करतूतों की भनक किसी को भी नहीं थी। इसी दौरान साल 2014 में रविन्द ने बेगमपुर इलाके में एक बच्ची को हवस का शिकार बनाया। फिर उसका गला रेतकर नाले में फेंक दिया। उसने सोचा कि बच्ची मर गई। लेकिन बच्ची की किस्मत अच्छी थी और वह बच गई। उस बच्ची को एक कांस्टेबल ने नाले में पड़ा हुआ देखा और उसने उसे बचा किया। इसके बाद रविन्द्र की पोल खुली और उसे गिरफ्तार कर लिया गया। इसी मामले में वह 2015 तक जेल में रहा और फिर उसे जमानत मिल गई।
2015 में एक पड़ोसी ने कराई जमानत
2015 में रविन्द्र के पड़ोसी ने उसकी जमानत कराई। लेकिन वह उसी पड़ोसी के बेटे की जान के पीछे पड़ गया। दरअसल रविंद्र की पड़ोस के लड़के सन्नी से दोस्ती थी। सन्नी के पिता ने ही 2014 के केस में जमानती बने। जेल से आने के बाद रविंद्र और सन्नी की दोस्ती और भी गहरी हो गई। दोनों एक-दूसरे के घर खूब आने-जाने लगे। इसकी वजह थी रविंद्र की मां। दरअसल सन्नी का रविंद्र की मां के साथ नाजायज संबंध थे। इसी दौरान एक बार रविन्द्र ने अपनी मां को सन्नी के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया था। जिसके बाद रविंद्र सन्नी की हत्या करने की प्लानिंग करने लगा।
बेगमपुर में अंजाम दिया आखिरी घिनौना कांड
एक दिन रविन्द्र ने पार्टी करने के बहाने से सन्नी को एक सुनसान इलाके में बुलाया। वहां उसने जमकर शराब पी, उसने सन्नी को भी शराब पीने को कहा लेकिन उसने मना कर दिया। इस दौरान रविन्द्र ने सन्नी की पिटाई करना शुरू कर दिया, लेकिन किसी तरह से बचकर सन्नी वहां से भाग गया। लेकिन उसके आईडी प्रूफ आदि वहीं रह गए। रात भर नशे की हालत में वो सन्नी को तलाशता रहा और बेगमपुर इलाके में पहुंच गया। इस दौरान रविंद्र ने सुबह एक बच्ची को हवस का शिकार बनाया। जब वह बच्ची का रेप कर रहा था तो वह चिल्लाने लगी। गुस्से में आकर उसने बच्ची की गला घोंटकर हत्या कर दी। उसके बाद उसने लाश के साथ भी दुष्कर्म किया। फिर उसकी लाश के पास सन्नी के डॉक्यूमेंट फेंक दिए।
कोर्ट ने इसी मामले में सुनाई उम्रकैद की सजा
बच्ची की लाश को ठिकाने लगाकर वह वहां से चला गया। वहीं बच्ची के माता-पिता ने बेगमपुर थाने में शिकायत दर्ज करवाई। पुलिस ने बच्ची को तलाशना शुरू किया और आखिरकार एक खंडहर से बच्ची की लाश को ढूंढ निकाला गया। घटनास्थल पर मिले सन्नी के दस्तावेज से पुलिस उसतक पहुंची। फिर पूछताछ में सन्नी ने रविंद्र की कहानी बताई। जिसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया और जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया। इसी लड़की की हत्या के मामले में अब कोर्ट ने रविन्द्र को दोषी ठहराया है और उसे उम्रकैद की सजा सुनाई है। इस मामले की जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि आरोपी ने 2008 से लेकर 2015 तक 30 से भी ज्यादा बच्चियों को अपनी हवस का शिकार बनाया था। इसमें से ज्यादातर बच्चियां दिल्ली की थीं।