Rape case in Rajasthan:राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों ने राजस्थान में कानून व्यवस्था की पोल खोल दी है। एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2021 में देश में बलात्कार के सबसे अधिक मामले राजस्थान में दर्ज किए गए और इनकी संख्या पूर्व वर्ष (2020) की तुलना में 19 प्रतिशत से अधिक बढ़ी। वहीं महिलाओं के खिलाफ समग्र अपराध में उत्तर प्रदेश के बाद राजस्थान दूसरे स्थान पर है, जबकि बलात्कार के दर्ज मामलों में यह देश में पहले स्थान पर बना हुआ है। इसके अनुसार वर्ष 2021 में देशभर में दर्ज कुल 31,677 बलात्कार के मामलों में से 6337 राजस्थान में थे, जबकि 2845 बलात्कार के मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए थे। वर्ष 2020 में राजस्थान में बलात्कार के दर्ज मामले 5310 थे और 2021 में इसमें 19.34 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।
रिपोर्ट में कहा गया कि वर्ष 2021 में देशभर में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 4,28,278 मामले दर्ज किए गए। इसमें सबसे अधिक 56,083 मामलों के साथ उत्तर प्रदेश सबसे ऊपर है, इसके बाद राजस्थान है जहां 40,738 मामले दर्ज किए गए हैं। पिछले साल महिलाओं के खिलाफ अपराध में महाराष्ट्र 39,526 मामलों के साथ तीसरे और पश्चिम बंगाल 35,884 मामलों के साथ चौथे स्थान पर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बीते साल में राजस्थान में दर्ज बलात्कार के कुल मामलों 6337 में से 4885 मामलों में पीड़ित वयस्क और 1452 मामलों में नाबालिग थीं। वहीं 18 पीड़ित छह साल से कम उम्र की थीं, 64 पीड़ित 6-12 साल की उम्र वर्ग, 442 पीड़ित 12-16 साल की उम्र वर्ग में और 929 पीड़ित 16-18 साल की उम्र वर्ग की थीं। बलात्कार पीड़ितों की अधिकतम संख्या (3265) 18-30 वर्ष की उम्र वर्ग में थी।
दुष्कर्मियों ने 60 वर्ष की बूढ़ी महिलाओं को भी नहीं बख्शा
2021 में चार दुष्कर्म पीड़िता की उम्र 60 साल से ज्यादा थी। इसके अनुसार बलात्कार के दर्ज 6074 मामलों में अपराधी पीड़िता के परिचित थे। 582 मामलों में आरोपी परिवार के सदस्य थे और 1701 मामलों में अपराधी दोस्त/ऑनलाइन दोस्त या लिव-इन पार्टनर थे, जबकि 263 मामलों में अपराधी अज्ञात थे। उल्लेखनीय है कि राजस्थान में वर्ष 2020 में दुष्कर्म के 5310 मामले और वर्ष 2019 में 5997 मामले दर्ज हुए जो देश में सबसे ज्यादा थे। वहीं, राज्य में मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने इस रिपोर्ट को लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह अपराध से निपटने में कांग्रेस सरकार की विफलता को दर्शाती है। महिला आयोग की अध्यक्ष ने यह कहते हुए बचाव किया कि कई मामले फर्जी पाए गए हैं।
सामाजिक कार्यकर्ताओ ने भी महिलाओं के खिलाफ अपराध में वृद्धि पर चिंता व्यक्त की और अपराध के बढ़ने के पीछे सोशल मीडिया और इंटरनेट के उपयोग को एक कारक माना। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने ‘‘पीटीआइ-भाषा’’ को बताया कि, ‘‘कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति और अपराध में वृद्धि कांग्रेस सरकार की सबसे बड़ी विफलता है। अपराधों से राजस्थान की छवि खराब हुई है। राज्य में महिला सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, क्योंकि सरकार महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रही है।’’ उन्होंने कहा कि एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार 6337 बलात्कार के मामले स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि राज्य में कानून व्यवस्था खराब है।
उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि राज्य में कोई पूर्णकालिक गृह मंत्री नहीं है और इसका परिणाम अपराधों में वृद्धि है। उल्लेखनीय है कि गृह मंत्रालय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास है। राजस्थान राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेहाना रियाज चिश्ती ने कहा कि मामलों में वृद्धि चिंताजनक है, लेकिन जांच के दौरान कई मामले फर्जी पाए जाते हैं। महिला अधिकार कार्यकर्ता निशा सिद्धू ने कहा कि बलात्कार के मामलों में वृद्धि के पीछे पारंपरिक कारणों के साथ-साथ सोशल मीडिया और इंटरनेट का ‘अप्रतिबंधित उपयोग' भी है जिसके कारण बलात्कार, छेड़छाड़ जैसे मामले बढ़ रहे हैं।
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