कैंसर की नकली दवाई बनाने वाले गिरोह का भंडाफोड़, डॉक्टर समेत 7 गिरफ्तार
पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से 8 करोड़ कीमत की 20 अंतर्राष्ट्रीय ब्रांड की कैंसर की दवाइयां बरामद की है। यह गिरोह लंबे समय से नकली जीवन रक्षक दवा बनाने का काम कर रहा था। क्राइम ब्रांच ने लंबे समय तक रेकी के बाद गिरोह के सदस्यों को दबोचा।
नई दिल्ली : डॉक्टर्स को इस धरती का दूसरा भगवान कहते है। अगर वही डॉक्टर आपके इलाज के नाम पर नकली दवाएं देकर आप उसके लिए सिर्फ पैसे वसूलने का जरिया बन जाये तो क्या आप उसको भगवन का दर्जा देंगे? आपका जवाब ना ही होगा। जी हां, दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे ही मौत के सौदागरों के गिरोह का पर्दाफाश किया है जो कैंसर जैसी घातक बीमारी में नकली दवा आपको सस्ते दामों में उपलब्ध कराकर झूठी उम्मीदें बेच रहे थे। इस गिरोह के लोग स्टार्च से टेबलेट और कैप्सूल बनाते थे और उनको जरुरतमंदों को सस्ते दामों पर बेच रहे थे। पुलिस ने इस गिरोह के डॉक्टर समेत 7 लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने उनके कब्जे से 8 करोड़ की 20 अंतर्राष्ट्रीय ब्रांड की कैंसर की दवाइयां बरामद की है।आरोपियों की पहचान डॉ. पवित्र नारायण प्रधान, शुभम मन्ना, पंकज सिंह बोहरा, अंकित शर्मा उर्फ़ अंकु उर्फ़ भज्जी, राम कुमार उर्फ़ हरबीर, आकांक्षा वर्मा और प्रभात कुमार रस्तोगी के रूप में हुई है।
गिरोह लंबे समय से नकली जीवन रक्षक दवाएं बना रहा था
क्राइम ब्रांच के स्पेशल कमिश्नर रविंद्र यादव के मुताबिक क्राइम ब्रांच को नकली जीवन रक्षक कैंसर दवाओं के बनाने और सप्लाई में एक अंतरराष्ट्रीय गिरोह की संलिप्तता के बारे में इनपुट मिले थे। यह गिरोह लंबे समय से नकली जीवन रक्षक दवा बनाने में लिप्त था। सूचना के आधार पर पुलिस की एक टीम गठित की गई। टीम ने दो महीने तक जानकारी इकठ्ठा की। पता चला कि इनका गोदाम ट्रोनिका सिटी, गाजियाबाद में है, जहां डॉ. पवित्र प्रधान और शुभम मन्ना के निर्देश पर उनके साथी पंकज बोहरा और अंकित शर्मा उर्फ भज्जी कैंसर रोगी के इलाज में इस्तेमाल होने वाली नकली दवाओं को पैक करते थे।
दवाओं की डिलीवरी के लिए 'वी फास्ट' कुरियर बुक करते थे
पुलिस को यह भी पता चला कि डॉ. पवित्र प्रधान और शुभम मन्ना सेक्टर-43, नोएडा, यूपी में स्थित एक फ्लैट में रह रहे हैं। डॉ. पवित्र प्रधान के निर्देश पर पंकज बोहरा और अंकित शर्मा दिल्ली में अलग-अलग जगहों पर नकली दवाइयां पहुंचाते थे और देश भर में दवाओं की डिलीवरी के लिए 'वी फास्ट' कुरियर बुक करते थे।
गाजियाबाद के ट्रोनिका सिटी में दवा गोदाम
गिरोह के लोगों की गिरफ़्तारी के लिए अलग-अलग टीमों का गठन किया गया था। इस ऑपरेशन के दौरान, एक टीम ने प्रगति मैदान के पास भैरों मंदिर रोड पर बैग ले जा रही एक स्कूटी पर कथित व्यक्तियों में से एक को रोका। जिसकी पहचान पंकज सिंह बोहरा के रूप में हुई। बैग की तलाशी लेने पर दवाइयां बरामद हुई। पूछताछ में पंकज सिंह बोहरा ने स्वीकार किया कि बरामद दवाएं नकली हैं और भारत में उन्हें बेचने के लिए केवल एस्ट्राजेनेका कंपनी अधिकृत है। उसने यह भी खुलासा किया कि उनका गोदाम ट्रोनिका सिटी गाजियाबाद में है।
डॉ. पवित्र नारायण प्रधान ने चीन से एमबीबीएस की डिग्री ली थी
क्राइम ब्रांच की दूसरी टीम ने डॉ. पवित्र नारायण प्रधान, शुभम मन्ना और अंकित शर्मा उर्फ अंकु उर्फ भज्जी को नोएडा से गिरफ्तार किया और फ्लैट की तलाशी लेते हुए 1.3 लाख की नकदी और करोड़ों की दवाइयां बरामद हुई। पूछताछ के दौरान पता चला कि डॉ. पवित्र नारायण प्रधान ने वर्ष 2012 में चीन से एमबीबीएस पूरा किया था। एमबीबीएस के दौरान उनके बांग्लादेशी बैचमेट डॉ. रसेल ने बताया कि वह कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली नकली दवाओं के निर्माण के लिए आवश्यक एपीआई प्रदान कर सकता है। उसने बताया कि इन दवाओं की भारत और चीन के बाजारों में बहुत भारी मांग है और यह बहुत महंगी हैं। इन नकली दवाओं को बेचकर मोटी कमाई कर सकते हैं।
डॉ. पवित्र ने गिरोह बनाकर नकली दवाओं का निर्माण शुरू किया
चीन से एमबीबीएस करने वाले डॉ. अनिल ने भी भारत और चीन में अपने संपर्क के जरिए ऐसी नकली दवाओं की आपूर्ति करने की बात मानी थी।इसके बाद डॉ. पवित्र ने अपने चचेरे भाई शुभम मन्ना और अन्य सहयोगियों को शामिल किया और कैंसर के इलाज के लिए नकली दवाओं का निर्माण शुरू कर दिया। रामकुमार उर्फ हरबीर को कैप्सूल और फॉइल पेपर देते थे, जो आगे कच्चा माल खरीदकर सोनीपत में अपनी फैक्ट्री में उनकी मांग के अनुसार टैबलेट और कैप्सूल तैयार करते थे। उन्होंने अंतिम पैकेजिंग और आपूर्ति के लिए ट्रोनिका सिटी, गाजियाबाद में एक घर किराए पर लिया।
आधुनिक मशीनों से बनाते थे नकली दवाइयां
आरोपियों की निशानदेही पर ट्रोनिका सिटी में छापा मारकर भारी मात्रा में दवाइयां एवं अन्य सामग्री बरामद हुई। डॉ. पवित्र की निशानदेही पर आरोपी राम कुमार उर्फ हरबीर को गिरफ्तार किया गया। उसकी निशानदेही पर 100 किलो मक्के का स्टार्च और लगभग 86,500 खाली कैप्सूल बरामद किए गए। उनकी फैक्ट्री में नकली दवाएं तैयार करने में करीब 14 आधुनिक मशीनों और उपकरणों का इस्तेमाल किया जा रहा था। आगे की छापेमारी में एकांश वर्मा को चंडीगढ़ से गिरफ्तार किया गया, जो खाली कैप्सूल मुहैया कराता था और नकली दवाइयां जरूरतमंद ग्राहकों को बेचता था। उसकी निशानदेही पर उसके घर और ऑफिस से नकली दवाएं बरामद की गईं। प्रभात कुमार को भी गिरफ्तार कर लिया गया और गाजियाबाद स्थित उनके आवास से नकली दवाएं बरामद की गईं। ठगी के पैसों से पवित्रा और शुभम मन्ना ने गुरुग्राम में 2 प्लॉट खरीदे, जिस पर वे 8 फ्लैट बना रहे हैं। डॉ. पवित्र ने पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में जमीनों में भी निवेश किया और नेपाल में जमीन खरीदने के लिए पैसे भी दिए।फिलहाल पुलिस इस गिरोह के और आरोपियों की तलाश कर रही ही।