श्रावस्ती: उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिले की एक अदालत ने 33 साल पहले नाबालिग के अपहरण और बलात्कार में मदद करने की आरोपी महिला को गुरुवार को दोषी ठहराते हुए 5 वर्ष कैद तथा जुर्माने की सजा सुनाई है। इस अपराध में दोषी करार दिए गए तीन पुरुषों और एक महिला की मुकदमे की सुनवाई के दौरान मौत हो चुकी है। श्रावस्ती के जिला शासकीय अधिवक्ता (अपराध) केपी सिंह ने शुक्रवार को बताया कि अपर सत्र न्यायाधीश परमेश्वर प्रसाद ने मामले में एकमात्र जीवित बची आरोपी रामावती को अपहरण और गैंगरेप में मदद करने का दोषी करार देते हुए गुरुवार को उक्त सजा सुनाई है।
‘कोर्ट के सबसे पुराने मामलों में एक’
जिला शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि यह न्यायालय के सबसे पुराने मामलों में से एक था जिस पर गुरुवार को अदालत का फैसला आया है। उन्होंने बताया कि अदालत ने रामावती को धारा 363 में 3 वर्ष एवं 5 हजार रुपये अर्थदंड, जबकि धारा 366 में 5 वर्ष की सजा एवं दस हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। दोनों सजाएं एक साथ चलेंगी। सिंह के मुताबिक घटना 30 जून 1988 की है जब एक महिला अपनी 12 वर्षीय बच्ची के साथ कोतवाली भिनगा अंतर्गत लालपुरमहरी गांव स्थित अपने मायके में भाई की शादी में आई थी।
बच्ची को किया था बलात्कारियों के हवाले
आरोप था कि घटना की रात गांव की एक दूसरी महिला रामावती अपनी मां फूलमता के साथ मिलकर नाबालिग बालिका को बहला फुसलाकर साथ ले गई और उसे गांव के बाहर पहले से मौजूद युवकों मक्कू, पुस्सू व लहरी के हवाले कर दिया। तीनों युवकों ने बालिका से बारी-बारी से बलात्कार किया। पीड़िता के परिजन ने कोतवाली भिनगा में पांचों के खिलाफ अपहरण एवं सामूहिक बलात्कार की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था। अधिवक्ताा के अनुसार पुलिस ने जांच के बाद पांचों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया।
आरोपियों में सिर्फ रामावती ही जीवित
33 साल चली पुलिसिया एवं न्यायिक कार्यवाही के बाद बीते अप्रैल माह में अदालत ने पांचों अभियुक्तों को दोषी करार देते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था। तीनों दोषी पुरुषों और फूलमता की बीते कुछ वर्षों में मौत हो चुकी है। आरोपियों में एकमात्र रामावती ही जीवित बची है। (भाषा)
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