लखनऊ: उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष कार्यबल (STF) ने नौकरी का झांसा देकर करीब 500 बेरोजगार युवकों से लगभग 6 करोड़ रुपये की ठगी करने वाले गिरोह के कथित सरगना समेत 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। STF ने गुरुवार को जारी बयान में बताया कि विभिन्न सरकारी विभागों में नौकरी दिलाने का झांसा देकर 500 बेरोजगार युवकों से लगभग 6 करोड़ रुपये की ठगी करने वाले गिरोह के सरगना अरुण कुमार दूबे और उसके साथियों अनिरुद्ध पांडे, खालिद मुनव्वर बेग और अनुराग मिश्रा को बुधवार रात लखनऊ के विभूति खंड इलाके से गिरफ्तार किया गया।
पहले भी जेल जा चुका है सरगना
STF ने बताया कि पकड़े गए लोग ‘कृषि कुम्भ प्राइवेट लिमिटेड’ और ‘मदरहुड केयर कम्पनी’ एवं गैर सरकारी संगठन खोलकर विभिन्न सरकारी विभागों में नौकरी दिलाने का झांसा देते थे। इस सिलसिले में लखनऊ के इंदिरा नगर थाने में एक मुकदमा भी दर्ज है। पकड़े गए लोगों के कब्जे से बड़ी संख्या में कर्मचारी हैंडबुक, स्टांप पेपर, लेटर हेड तथा अन्य सामान बरामद हुआ है। गिरोह के सरगना अरुण कुमार दूबे ने पूछताछ में एसटीएफ को बताया है कि वह वर्ष 2015 में एक कंपनी में मैनेजर के पद पर तैनात था, तब कंपनी के दफ्तर से 10 लैपटॉप और बैटरी चोरी होने के मामले में वह जेल गया था।
युवकों से की 6 करोड़ रुपये की ठगी
STF के मुताबिक, दूबे ने बताया कि जेल से छूटने के बाद उसने अपने साथियों की मदद से विभिन्न विभागों में नौकरी दिलाने का झांसा देकर लगभग 500 बेरोजगार युवकों से करीब 6 करोड़ रूपये की ठगी की। उसने बताया कि वह और उसके साथी समय-समय पर कम्पनी के सेमिनार आयोजित करते थे। उन्होंने कुछ लोगों को अपनी कम्पनियों में भी जोनल कोऑर्डिनेटर, जिला विक्रय अधिकारी तथा ब्लॉक कोऑर्डिनेटर के पद पर नौकरी दी थी। कुछ महीने कार्य करने पर जब उन लोगों को वेतन नहीं मिला तब वे दबाव बनाने लगे, जिसके बाद उन्हें नोटिस भेजा गया कि उन्होंने कम्पनी के अनुशासन के अनुरूप काम नहीं किया है इसलिए उन्हें कंपनी से निकाला जा रहा है।
‘दस्तावेज नष्ट करने के लिए कर रहे थे मीटिंग’
एसटीएफ के अनुसार पूछताछ में दूबे ने बताया कि उसने अपनी कंपनी में नौकरी कर रहे कुछ लोगों को फर्जी चेक भी दिये, जब उन लोगों को पैसे नहीं मिले तो उन्होंने अलग-अलग थानों में उसके तथा गिरोह के अन्य सदस्यों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिए। उसके बाद उसके गिरोह के सदस्य देवेश मिश्रा और विनीत कुमार मिश्रा को पुलिस ने सचिवालय का फर्जी नियुक्ति पत्र देने के आरोप में अक्टूबर 2020 में गिरफ्तार किया था। उसके बाद से ही वह और उसके गिरोह के बाकी सदस्य छिप कर रह रहे थे। STF ने बुधवार को उन्हें तब गिरफ्तार किया जब वे सारे दस्तावेज नष्ट करने के लिए बैठक कर रहे थे।
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