'किसने किसके साथ मिलकर क्या साजिश रची थी, सब साफ हो जाएगा', झीरम घाटी हमले पर CM बघेल का बड़ा बयान
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने झीरम घाटी हमले की जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कहा कि किसने किसके साथ मिलकर क्या साजिश रची थी, सब साफ हो जाएगा।
रायपुर: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने झीरम घाटी हमले को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अब छत्तीसगढ़ पुलिस इस कांड की जांच करेगी। किसने किसके साथ मिलकर क्या षड्यंत्र रचा था। सब साफ हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला राज्य के लिए न्याय के दरवाजे खोलने जैसा है। दरअसल झीरम घाटी नक्सली हमले के सिलसिले में प्रदेश पुलिस की जांच के खिलाफ दायर एनआईए की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है।
मई 2013 में बस्तर के झीरम घाटी में हुए नक्सली हमले में मृत कांग्रेस नेता उदय मुदलियार के बेटे ने इस हमले के पीछे बड़ी साजिश की आशंका जताई थी, और इसकी जांच की मांग को लेकर पुलिस में मामला दर्ज कराया था, जिसके बाद एनआईए ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा, 'माफ करें। हम हस्तक्षेप नहीं करना चाहेंगे। (याचिका) खारिज की जाती है।'
लोकतंत्र का सबसे बड़ा राजनीतिक हत्याकांड-सीएम बघेल
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मुख्यमंत्री बघेल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉक्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर कहा, 'झीरम कांड पर माननीय सुप्रीम कोर्ट का आज का फ़ैसला छत्तीसगढ़ के लिए न्याय का दरवाजा खोलने जैसा है। झीरम कांड दुनिया के लोकतंत्र का सबसे बड़ा राजनीतिक हत्याकांड था, इसमें हमने दिग्गज कांग्रेस नेताओं सहित 32 लोगों को खोया था।' बघेल ने लिखा है, ''कहने को एनआईए ने इसकी जांच की, एक आयोग ने भी जांच की लेकिन इसके पीछे के बड़े राजनीतिक षडयंत्र की जांच किसी ने नहीं की। छत्तीसगढ़ पुलिस ने जांच शुरू की तो एनआईए ने इसे रोकने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था।'' उन्होंने लिखा है, ''आज रास्ता साफ़ हो गया है। अब छत्तीसगढ़ पुलिस इसकी जांच करेगी। किसने किसके साथ मिलकर क्या षड्यंत्र रचा था। सब साफ हो जाएगा। झीरम के शहीदों को एक बार फिर श्रद्धांजलि।''
25 मई 2013 को कांग्रेस के काफिले पर हुआ था हमला
बता दें कि बस्तर जिले के दरभा इलाके की झीरम घाटी में 25 मई 2013 को नक्सलियों ने कांग्रेस नेताओं के काफिले पर हमला कर दिया था, जिसमें तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंद कुमार पटेल, उनके बेटे, पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल समेत 29 लोगों की मौत हो गई थी। बस्तर जिले की पुलिस ने तब दरभा थाने में घटना की एफआईर दर्ज की थी। बाद में एनआईए ने इसकी जांच शुरू की थी। एनआईए ने अपनी जांच पूरी करने के बाद आरोप पत्र दायर किया था, जिसमें सुनवाई शुरू हुई थी।
हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी खारिज की याचिका
बाद में दरभा पुलिस थाने में 26 मई, 2020 को इस घटना के संबंध में आपीसी की धारा 302 (हत्या) और 120 बी (आपराधिक षड़यंत्र) के तहत एक और एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें शिकायतकर्ता कांग्रेस नेता उदय मुदलियार के पुत्र जितेंद्र मुदलियार ने हमले में साजिश की आशंका जताते हुए जांच की मांग की थी। इसके बाद एनआईए ने जगदलपुर की विशेष (एनआईए) अदालत में एक आवेदन दायर कर बस्तर पुलिस को ताजा प्राथमिकी में जांच आगे नहीं बढ़ाने और दूसरी प्राथमिकी से संबंधित सभी दस्तावेज केंद्रीय एजेंसी को सौंपने का निर्देश जारी करने का अनुरोध किया था। विशेष अदालत ने 2020 में एनआईए के आवेदन को खारिज कर दिया था जिसके बाद एजेंसी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने भी पिछले वर्ष एनआईए की याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद एनआईए ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। (इनपुट-एजेंसी)