छत्तीसगढ़: खूंखार माओवादी नेता रमन्ना की मौत, 76 सीआरपीएफ जवानों और कांग्रेस नेताओं की हत्याकांड का था मास्टरमाइंड
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र में नक्सली गतिविधियों में शामिल रहे प्रमुख माओवादी नेता रमन्ना की कथित तौर पर मौत हो गई है।
रायपुर। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र में नक्सली गतिविधियों में शामिल रहे प्रमुख माओवादी नेता रमन्ना की कथित तौर पर मौत हो गई है। राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने मंगलवार को यहां बताया कि पुलिस को विभिन्न सूत्रों से जानकारी मिली है कि पिछले सप्ताह दिल का दौरा पड़ने से नक्सली नेता रमन्ना की मौत हो गई है। हालांकि, अभी तक इस संबंध में माओवादियों की तरफ से कोई भी बयान जारी नहीं किया गया है। माओवादी अक्सर अपने बड़े नेताओं की मृत्यु पर बयान जारी करते हैं।
बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने बताया कि पुलिस को जानकारी मिली है कि दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के सचिव रमन्ना उर्फ रावलु श्रीनिवास की पिछले शनिवार की रात मौत हो गई। बीजापुर जिले के पामेड़ और बासागुड़ा गांव के मध्य जंगल में उसका अंतिम संस्कार किया गया। सुंदरराज ने बताया कि रमन्ना की मौत की जानकारी को पुष्ट करने के लिए कई सबूत मिले हैं। लेकिन फिर भी इस संबंध में अधिक जानकारी ली जा रही है।
नक्सली गतिविधियों का मास्टरमाइंड था रमन्ना
पुलिस महानिरीक्षक ने बताया कि रमन्ना माओवादियों के केंद्रीय समिति का सदस्य था। पिछले कुछ दशक से बस्तर क्षेत्र में हुई बड़ी घटनाओं का वह मास्टरमाइंड था। इनमें 2010 में ताड़मेटला में 76 जवानों की मौत तथा वर्ष 2013 में दरभा घाटी नक्सली हमला शामिल है।इस हमले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मारे गए थे। रमन्ना तेलंगाना के वारंगल जिले का निवासी था। छत्तीसगढ़ में उस पर 40 लाख रुपए का इनाम है। उसकी पत्नी सावित्री उर्फ सोढ़ी हिडमे एक स्थानीय आदिवासी महिला है। वह दक्षिण बस्तर में प्रमुख माओवादी नेता है तथा किस्टाराम एरिया कमेटी में सचिव के रूप में काम कर रही है। रमन्ना का बेटा रंजीत अपनी मां के समूह में सदस्य के रूप में सक्रिय है। रमन्ना को क्षेत्र में होने वाले नक्सली घटनाओं का प्रमुख रणनीतिकार माना जाता था। वह लंबे समय से बस्तर और पड़ोसी राज्यों महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा के सीमावर्ती क्षेत्रों में नक्सली आंदोलन की अगुवाई कर रहा था।
एक अन्य पुलिस अधिकारी ने बताया कि रमन्ना की मृत्यु के बाद स्थानीय नेता कैडर में अपने पद को बढ़ाने की कोशिश करेंगे। पिछले कुछ समय से तेलंगाना और आंध्रप्रदेश के नक्सलियों को ज्यादा महत्व मिलने के कारण नक्सली आंदोलन को अंदरूनी कलह का सामना करना पड़ रहा है। पुलिस अधिकारी ने कहा कि रमन्ना पिछले लगभग 30 वर्ष से बस्तर क्षेत्र में सक्रिय था। उसे वर्ष 2011 में दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का सचिव बनाया गया था। उसने बस्तर में जोनल कमेटी की स्थापना में तथा माओवादी आंदोलन को बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाई थी। अधिकारी ने कहा कि रमन्ना की मृत्यु से बस्तर क्षेत्र में माओवादी आंदोलन कमजोर होगा।