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छत्तीसगढ़ में सरेंडर करने वाले नक्सलियों और उग्रवाद से प्रभावित परिवारों को मिलेगा घर, सीएम साय का ऐलान

सीएम विष्णु देव साय ने ट्वीट कर बताया कि केंद्र सरकार ने हमारे छत्तीसगढ़ में आत्मसमर्पित नक्सलियों और नक्सल पीड़ित परिवारों के पुनर्वास के लिए प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के अंतर्गत 15,000 नए आवासों की स्वीकृति दी है।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय - India TV Hindi Image Source : FILE-PTI मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

रायपुरः केंद्र सरकार ने सरेंडर करने वाले नक्सलियों और माओवादी हिंसा से प्रभावित परिवारों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई-ग्रामीण) के तहत 15,000 घरों के निर्माण को मंजूरी दे दी है। इसकी जानकारी मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने शुक्रवार को दी। सीएम ने कहा कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों और वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित परिवारों को राज्य की पुनर्वास नीति के तहत ये घर मिलेंगे। यह पहल उन्हें मुख्यधारा में लाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

विष्णु देव साय बोले- बरती जाएगी पूरी पारदर्शिता 

सीएम साय ने कहा कि ये सिर्फ घर नहीं बल्कि ऐसे परिवारों के लिए सम्मान और सुरक्षा का प्रतीक हैं। विष्णु देव साय ने कहा कि हमारी सरकार इस योजना को पूरी पारदर्शिता और तत्परता के साथ लागू करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार माओवादी हिंसा से प्रभावित परिवारों के साथ-साथ आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को बेहतर जीवन प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह कदम सामाजिक सद्भाव और विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक होगा।

डिप्टी सीएम ने दी ये जानकारी

उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि इस पहल के तहत पुलिस अधीक्षक आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों और नक्सली-हिंसा से प्रभावित परिवारों की सूची सत्यापन के लिए जिला पंचायत के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) को प्रदान करेंगे। सत्यापन के बाद कलेक्टर के माध्यम से हितग्राहियों के लिए जमीन चिन्हित की जाएगी। इसी आधार पर पीएमएवाई की गाइडलाइन के मुताबिक मकान बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी।

गृह मंत्री अमित शाह ने दी थी मंजूरी

राज्य सरकार की एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात के बाद इन 15,000 घरों की मंजूरी दी गई थी। इसमें कहा गया है कि यह योजना विशेष रूप से उन परिवारों को पूरा करेगी जिनके नाम सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना 2011 और आवास प्लस 2018 में शामिल नहीं थे। विज्ञप्ति में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने इन नामों को इस साल 6 दिसंबर तक आवास प्लस पोर्टल पर अपलोड करने की अनुमति दी है।

इनपुट- भाषा