15 साल से शौचालय में रहने को मजबूर है ये परिवार, पीएम आवास की नहीं मिली पूरी किस्त; आखिर किसकी गलती?
नगर निगम चिरमिरी के वार्ड क्रमांक 2 में करीब 15 साल से एक परिवार निगम के बंद पड़े सुलभ शौचालय में रहने को मजबूर है। इस परिवार का शौक नहीं बल्कि मजबूरी है।
छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत हर जरूरतमंदों को पक्के आवास देने को लेकर कई दावे किए जा रहे हैं लेकिन इन दावों के बीच मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर (एमसीबी) जिले के चिरमिरी नगर निगम के वार्ड क्रमांक 2 में एक ऐसा परिवार भी है जो शौचालय में रहने को मजबूर है।
जानिए पूरा मामला
नगर निगम चिरमिरी के वार्ड क्रमांक 2 में करीब 15 साल से एक परिवार निगम के बंद पड़े सुलभ शौचालय में रहने को मजबूर है। इस परिवार का शौक नहीं बल्कि मजबूरी है। मामला यह है कि इस परिवार को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिलने वाला घर सरकारी नियमों और कागजों के दांव-पेंच में फंसा हुआ है। इनके पास वर्तमान में खुद की जमीन पर एक कच्चा मकान बना है जिसमें इनके माता-पिता, बहन सहित अन्य लोग रहते हैं। कच्चा घर छोटा है और उसकी छत में कई जगह दरारें पड़ी है इस कारण मजबूरी में यह परिवार निगम के बंद पड़े सुलभ शौचालय में निवास करने को मजबूर है।
जिस सुलभ शौचालय में यह परिवार निवास कर रहा है वह नगर निगम कार्यालय से करीब डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर ही स्थित है। आश्रितों का कहना है कि निगम के अधिकारियों और स्थानीय पार्षद को कई बार परेशानी की दुहाई दे चुके हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती। 15 साल से शौचालय में निवासरत हैं तो अब निगम से सहायता मिलने की उम्मीद भी नहीं है।
योजना की किस्त पूरी नहीं मिली
ऐसा नहीं है कि परिवार को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास नहीं मिला। आवास तो मिला है पर उसकी छत गायब है। अब परिवार आवास की छत के लिए इंतजार कर रहा है। दरअसल, परिवार को आवास योजना के तहत आवास स्वीकृत होने के बाद एक किस्त जारी की गई थी। परिवार के लोग बताते है कि एक किस्त मिलने के बाद डोर लेवल तक आवास का निर्माण कराया गया इसमें किस्त कम पड़ने के कारण परिवार ने अपनी जमा पूंजी भी लगा दी। अब दूसरी किस्त के इंतजार के दौरान ही निगम के इंजीनियर ने कहा कि छत ढलाई करो तभी दूसरी किस्त दी जाएगी। परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वह छत की ढलाई कर सके इस कारण आवास आज तक अधूरा पड़ा है।
किस्तों के जाल में अधूरा है गरीब का आशियाना
निगम के जिस सुलभ शौचालय में यह परिवार निवास कर रहा है वह करीब 15 साल से बंद पड़ा था। इस शौचालय में प्रवेश करते ही सामने खाना बनाने के लिए मिट्टी का चूल्हा दिखता है। कमरे के एक ओर बच्चों की किताबें तो वहीं दूसरी ओर सोने के लिए बिस्तर लगाया हुआ है। इस परिवार में सदस्यों ने इसे ही अपना आशियाना बनाया हुआ है। यहां ना तो बिजली की उचित व्यवस्था है और ना ही पानी की बावजूद इसके परेशानियों के बीच परिवार यहां बसेरा बनाए हुए हैं।
(रिपोर्ट- सिकंदर अली)
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