नई दिल्ली: पीपीएफ का नाम आते ही लोगों का ध्यान ऑफिस वाले पीएफ अकाउंट की तरफ चला जाता है जिसमें आपकी सैलरी से कुछ पैसा काटकर आपके ही एक खाते में जमा करा दिया जाता है। लेकिन यह जान ले कि आपके ऑफिस वाले पीएफ अकाउंट के अलावा भी एक पीपीएफ खाता होता है जो आपको आयकर में छूट, रिटायमेंट की बेहतरीन प्लानिंग और बचत के शानदार विकल्प मुहैया कराता है। ऑफिस वाले पीएफ अकाउंट को ईपीएफ नाम से भी जाना जाता है। लेकिन इसकी तमाम सुविधाएं पीपीएफ अकाउंट से अलग होती हैं। इललिए पीएफ और पीपीएफ के अंतर को गहराई से समझकर ही निवेश का निर्णय लें।
ऑफिस के ईपीएफ और बैंक-पोस्ट ऑफिस वाले पीपीएफ में अंतर-
ईपीएफ- पीएफ अकाउंट वह कोष होता है जो नौकरी पेशा लोगों के लिए होता है। इसमें आपका नियोक्ता आपकी सैलरी से कुछ निश्चित अमाउंट काटकर (मौजूदा समय में 12 फीसदी) पीएफ ऑफिस में जमा करा देता है। यह तय रकम सरकार द्वारा निर्धारित होती है और इस तय रकम में नियोक्ता भी अपना हिस्सा (हमारी सीटीसी का हिस्सा) जोड़कर जमा कराता है। इसमें आपके निवेश पर 8.5 फीसदी ब्याज मिलता है। ईपीएफ का पैसा आप अपनी मौजूदा नौकरी छोड़ने के बाद कभी भी निकाल सकते हैं।
पीपीएफ- पब्लिक प्रोविडेंट फंड केंद्र सरकार द्वारा संचिलित एक स्कीम है। यह स्कीम बैंक और पोस्ट ऑफिस द्वारा चलाई जाती है। आप अपनी स्वेच्छा से इसमें अपना खाता खुलवा सकते हैं। ऐसा खाता खुलवाने के लिए जरूरी नहीं कि आप वैतनिक हों। अगर आप बतौर सलाहकार, फ्रीलांसर और संविदा (अनुबंध) के आधार पर काम करते हैं तब भी आप अपना खाता खुलवा सकते हैं। इसमें आपके निवेश पर 8.7 फीसदी ब्याज मिलता है। पीपीएफ का पैसा आमतौर पर 15 साल की मैच्योरिटी के बाद ही निकाला जा सकता है।
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