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बिड़ला ग्रुप की सफलता की कहानी आम आदमी की जुबानी

नई दिल्ली: लोगों की सोच को भांपकर मार्केट में अपने पांव पसारने की कला जिस खिलाड़ी को आती है उसे मार्केट का किंग कहा जाता है। वो कहते हैं न कि बाजार की अपनी एक



सुरेश ने बताया कि उसके पिता एक चतुर व्यापारी हैं और ठीक एक साल पहले उन्होंने यह भांपा कि जो लोग 10 पैसे का पेठा खरीदते हैं वो अपने बेहतर पेठे के लिए 15 पैसे देने को तो तैयार हैं लेकिन वो 20 पैसे हरगिज नहीं देंगे। दुकान पर 10 पैसे का पेठा लेने वालों की तादात हरदम बनी रहती है। इसी वक्त सुरेश के पिता को एक आइडिया सूझा और उन्होंने उन लोगों के लिए एक अलग से दुकान खोल दी जो पेठे के लिए 15 पैसे देने को तैयार हैं। इस नई चेन का नाम रखा गया आनंद मिठाई। इस तरह से सुरेश के परिवार ने मिठाई की तीन चेन खोल दीं। सुरेश ने बताया कि सालभर बीतने के बाद उसने युवाओं को आकर्षित करने के लिए चाकलेट और अन्य स्पेशल मिठाइयों को लेकर एक नई चेन खोलने की योजना बनाई। इस नई चेन का नाम रखा गया लक्जरियस स्वीट।

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