नई दिल्ली: देश के पैकेटबंद व प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद बाजार के लिए मैगी विवाद बदलाव का महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है और इससे इस उद्योग में बेहतर लेबलिंग, पैकेजिंग व परीक्षण नियम सामने आ सकते हैं। परामर्श सेवा कंपनी नोमूरा की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
नोमूरा के मनीष जैन व अनूप सुधेन्द्रनाथ ने एक शोध पत्र में कहा, हम इस पूरे विवाद को भारतीय पैकेज्ड व प्रसंस्कृत खाद्य उद्योग के लिए बदलाव की कड़ी के रूप में देखते हैं। नोट में कहा गया है कि इसी तरह की कंपनियों व उत्पादों पर भी इस तरह के परीक्षण हो सकते हैं। जापानी वित्तीय सेवा कंपनी के अनुसार भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के लिए अगला तर्कसंगत कदम समूचे क्षेत्र के लिए लेबलिंग, पैकेजिंग व परीक्षण नियमें को कड़ा करने का होगा। यह उपभोक्ताओं के हित में होगा।
नोमूरा ने कहा, उपभोक्ताओं के परिप्रेक्ष्य में यह सकारात्मक है। इससे असंगठित से संगठित क्षेत्र में स्थानांतरित होने में मदद मिलेगी। नोट में कहा गया है, हमारा मजबूती से विश्वास है कि नेस्ले इंडिया एक पुनर्गठित उत्पाद व पैकेजिंग के जरिए वापसी करेगी। हालांकि, कंपनी के नवजात पोषण पोर्टफोलियो और कॉफी कारोबार पर इससे असर नहीं पड़ेगा।