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Hindi News बिज़नेस एसआईटी को विदेश में रखे अवैध धन के बारे में मिनी नई जानकारियां

एसआईटी को विदेश में रखे अवैध धन के बारे में मिनी नई जानकारियां

नई दिल्ली:  काले धन पर गठित एसआईटी को विदेशों में रखे अवैध धन के बारे में नई जानकारियां मिली है। इसके अलावा केंद्रीय आर्थिक खुफिया ब्यूरो (सीईआईबी) को विदेश से मिले 600 संदिग्ध नामों और

'काले धन ' को लेकर SIT...- India TV Hindi 'काले धन ' को लेकर SIT को मिली विशेष जानकारी

नई दिल्ली:  काले धन पर गठित एसआईटी को विदेशों में रखे अवैध धन के बारे में नई जानकारियां मिली है। इसके अलावा केंद्रीय आर्थिक खुफिया ब्यूरो (सीईआईबी) को विदेश से मिले 600 संदिग्ध नामों और पतों के बारे में विभिन्न जांच व एंफोर्समेंट एजेंसियों में कार्य प्रगति पर है।

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) द्वारा एसआईटी के लिए तैयार नोट में इन जानकारियों का ब्योरा दिया गया है। नोट से पता चला है कि काला धन मामले की जांच कर रहे भारतीय टैक्स अधिकारियों ने टैक्स चोरों के पनाहगाह और अन्य देशों में अपने समकक्ष विभागों एवं अधिकारियों के साथ सीधे तौर पर बातचीत करने का फैसला किया है।

नोट के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खोजी पत्रकारों के दल (आईसीआईजे) की रिपोर्ट में शामिल 11 इकाइयों के बारे में दो विदेशी वित्तीय खुफिया इकाइयों से ‘निगमीकरण का प्रमाणन’ मिल चुका है। इसे सीबीडीटी के साथ आगे की कार्रवाई के लिए साझा किया गया है। सूत्रों ने कहा कि उन्हें चार अन्य इकाइयों के बारे में अतिरिक्त सूचना मिली है। बताया जाता है कि इन फाइलों में ऐसी इकाइयों द्वारा विदेश में धन जमा कराने के प्रोटोकॉल के बारे में जानकारी है।

इस दस्तावेज में कहा गया कि करीब 600 संदिग्ध नाम और पते जो पिछले साल केंद्रीय आर्थिक आसूचना ब्यूरो (सीईआईबी) को मिले थे, की जांच चल रही है। आधिकारिक पत्राचार में भारत व स्विट्जरलैंड के बीच इन मामलों में सहयोग बढ़ने का भी जिक्र है।

स्विट्जरलैंड ने उन मामलों में सूचना देने का संकेत दिया है जिनकी जांच आयकर विभाग ने स्वतंत्र रूप से की है। इसमें कहा गया है कि यह घटनाक्रम इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि एचएसबीसी की सूची में शामिल कई खाताधारकों के मामले में आयकर विभाग ने स्वतंत्र रूप से जांच की है। यह जांच फ्रांस सरकार से हासिल एचएसबीसी की सूची से अलग है।

नोट में कहा गया है कि इससे पहले स्विट्जरलैंड सरकार एचएसबीसी की सूची में शामिल नामों के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने को तैयार नहीं थी। उसका कहना था कि यह सूचना चोरी के आंकड़ों पर आधारित है, जो स्विट्जरलैंड के कानून का उल्लंघन है।