इंदिरा गांधी के इस फैसले से तय हुआ कि गुलाबी होगा 20 का नोट
नई दिल्ली: रंग-बिरंगे भारतीय नोटों को हाथ में तो हम सभी थामते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि भारत की टकसालों और छापेखानों में छपने वाले हर नोट का अलग रंग क्यों होता
इस बैठक में काफी सारे लोग भारी भरकम फाइल और नोटों की डिजायन लेकर आए थे ताकि वो प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को दिखा सकें, जिससे नोट के रंग और डिजायन पर कोई अंतिम फैसला लिया जा सके। उन दिनों नाइलॉन का काफी क्रेज था। आज के दौर के जो भी लोग 60 की उम्र को पार कर चुके हैं उनसे इसकेे बारे में पूछा जा सकता है। उन दिनों यह स्टेट्स सिंबल माना जाता था।
बैंकिंग सेक्टर में संयुक्त सचिव के पद पर तैनात कासबेकर ने उस दिन बैठक में नायलॉन की शर्ट पहनी थी। दिलीप कांवरे जिनके पास उस पूरी बात का ऑडियो-विजुअल दस्तावेज है जिसमें कासबेकर ने इसके बारे में विस्तार से बताया था। इस बैठक में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी लगातार कासबेकर की जेब की तरफ देख रही थीं...उनकी निगाहें कासबेकर की जेब पर ही जम गईं थीं। बाकी सब लोगों की तरह कासबेकर भी थोड़ा हैरान परेशान से थे। सभी को यह लग रहा था कि मानो मैडम किसी बात से नाराज हैं।
लेकिन दिलचस्प रुप से इंदिरा गांधी ने कासबेकर से उनकी जेब में रखे रंगीन लिफाफे को बाहर निकालने को कहा। कासबेकर ने बिना कुछ पूछ उन्हें वह लिफाफा थमा दिया। इंदिरा गांधी ने अपना चेहरा ऊपर किया और कहा कि यह रंग और डिजायन मुझे पसंद है। मीटिंग खत्म हुई और नोट का रंग तय हो गया। कासबेकर की जेब में एक शादी का निमंत्रण कार्ड था, जो कि गुलाबी रंग का था और उसमें भगवा और लाल रंग का मिश्रण भी शामिल था।
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