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GST विधेयक में संशोधन की सिफारिश, मुआवजे की अवधि बढ़ाने की मांग

नई दिल्ली: राज्यसभा की चयन समिति ने वस्तु एवं सेवा कर (GST) विधेयक में कुछ संशोधन की सिफारिश की है। इसमें राज्यों को मुआवजे की अवधि बढ़ाने और उन्हें एक फीसदी अतिरिक्त कर लगाने जैसे

GST विधेयक में 5 साल के...- India TV Hindi GST विधेयक में 5 साल के मुआवजे की सिफारिश

नई दिल्ली: राज्यसभा की चयन समिति ने वस्तु एवं सेवा कर (GST) विधेयक में कुछ संशोधन की सिफारिश की है। इसमें राज्यों को मुआवजे की अवधि बढ़ाने और उन्हें एक फीसदी अतिरिक्त कर लगाने जैसे प्रावधान शामिल हैं। समिति ने राज्यसभा में बुधवार को विधेयक पर सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में ये सिफारिशें की हैं।

रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि नई कर व्यवस्था लागू करने से राज्यों को जो भी नुकसान हो, उसकी भरपाई केंद्र पांच साल तक करेगी। इसके अलावा स्थानीय कर के समाप्त होने से राज्यों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए राज्यों को चिन्हित की गई आपूर्ति पर एक फीसदी अतिरिक्त कर लगाने की सुविधा की सिफारिश भी की गई है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता भूपेंद्र यादव समिति के अध्यक्ष थे। समिति ने जीएसटी परिषद में केंद्र सरकार का एक-तिहाई और राज्य सरकार का दो-तिहाई प्रतिनिधित्व बरकरार रखा है। राजस्व सचिव शक्तिकांत दास ने यहां संवाददाताओं से कहा, "प्रशासनिक रूप से हम अप्रैल 2016 की समय सीमा का पालन करने के लिए केंद्र और राज्य दोनों के लिए सभी कदम उठा रहे हैं।"

केंद्र सरकार ने GST व्यवस्था एक अप्रैल, 2016 से लागू करने का लक्ष्य रखा है और उसने प्रथम तीन साल तक राज्यों को 100 फीसदी मुआवजा का प्रस्ताव रखा था। जीएसटी व्यवस्था से पूरा देश एक बाजार बन जाएगा और इससे कारोबार का आकार बढ़ाने की सुविधा हो जाएगी, जिससे आपूर्ति श्रंखला मजबूत होगी और महंगाई दर में भी गिरावट आएगी।

विधेयक का कानून बनना हालांकि लंबी प्रक्रिया है। यह एक संविधान संशोधन विधेयक है, लिहाजा इसे संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई से पारित होना और उसके बाद कम से कम 15 राज्यों की विधानसभाओं में भी मंजूर होना जरूरी है। उसके बाद ही इसे राष्ट्रपति के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा। लोकसभा में हालांकि यह विधेयक पारित हो चुका है।