क्या था मैगी विवाद
दरअसल मैगी दावा करती है कि उसके नूडल्स में लैड यानी शीशे की मात्रा 2.5 पीपीएम तक ही होती है जबकि जांच में इसे 17 के स्तर तक पाया गया। मैगी के बुरे दिन तब शुरू हुए जब बाराबंकी जिले के फूड एंड सेफ्टी ऑफिसर वी के पांडे ने बाजार से मैगी का एक पैकेट खरीदा। उन्होंने इसकी जांच की और इसमें लेड खतरनाक स्तर पर पाया गया। इसके बाद होली के दौरान भी इसकी एक बार जांच की गई। इन जांच के नमूनों को गोरखपुर और फिर कोलकाता भेजा गया। जांच रिपोर्ट में बताया गया कि मैगी के सैंपल में लेड और ग्लूटामेट खतरनाक स्तर पर हैं। रिपोर्ट सामने आने के बाद बाराबंकी जिले के खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन से इस मामले में केस चलाने की स्वीकृति मांगी जिसे मंजूरी दे दी गई। इसके बाद मैगी के ब्रैंड एंबेसडर रह चुके अमिताभ बच्चन, माधुरी दीक्षित और प्रिटी जिंटा पर देश के अलग-अलग थानों में एफआईआर दर्ज कराई गई। वहीं, नेस्ले ने अपनी सफाई में कहा कि नूडल्स में केवल प्राकृतिक रूप से उत्पन्न ग्लूटामेट ही है। उसमें किसी भी तरह का कोई MSG इस्तेमाल नहीं किया गया है, जो कि अनुमति स्तर का एक प्रतिशत है।
केंद्रीय खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि अगर मैगी की गुणवत्ता खराब पाई गई तो कड़ी से कड़ी कार्रवाई होगी। उन्होंने यह भी कहा था कि जरूरत पड़ने पर इसका प्रचार करने वालों पर भी कार्रवाई हो सकती है। यानी अगर मैगी के विज्ञापनों में कुछ धांधली पाई गई तो इसका प्रचार करने वालों पर भी जुर्माना लगाया जाएगा।