नई दिल्ली: सरकार के भरोसे के बाद आज ट्रांसपोर्टरों ने अपनी हड़ताल वापस ले ली है। आज एआईएमटीसी (ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस) तथा सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के बीच बातचीत के बाद ट्रांसपोर्टरों को भरोसा दिलाया गया। इस बैठक में यह तय हुआ कि एक समिति का गठन किया जाएगा जो 15 दिसंबर तक ट्रांसपोर्टरों की मांग को ध्यान में रखते हुए अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। इस समिति की अध्यक्षता परिवहन सचिव विजय छिब्ब करेंगे। गौरतलब है कि ट्रांसपोर्टर बीते पांच दिनों से हड़ताल कर रहे हैं।
आंदोलन का असर-
आंदोलन कर रहे ट्रक संचालकों के शीर्ष संगठन AIMTC और सरकार के बीच गतिरोध से देश के विभिन्न भागों में सामान की ढुलाई प्रभावित हुई है। इस मामले में सरकार ने देश भर में दिसंबर से इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शनल सिस्टम का प्रस्ताव दिया है लेकिन ट्रक संचालकों का दावा है कि यह एक व्यवहारिक समाधान नहीं है क्योंकि इस संबंध में एक परीक्षण परियोजना असफल हो चुकी है। मौजूदा टोल सिस्टम को खत्म करने की मांग के साथ ही AIMTC करों की एक बार अदायगी और TDS प्रक्रिया के सरलीकरण की भी मांग कर रहा है। संगठन का कहना है कि मौजूदा टोल सिस्टम से ट्रक चालकों को परेशान भी किया जाता है।
गडकरी ने पहले कहा था, सरकार टोल खत्म नहीं कर सकती क्योंकि करीब 325 टोल बूथ का आधा निजी क्षेत्र से संबंधित है जिसके लिए सरकार पर दो-तीन लाख करोड़ रुपए का दावा बन सकता है। AIMTC का दावा है कि पांच दिनों में ट्रक चालकों को 7,500 करोड़ रुपए का घाटा हुआ होगा जबकि सरकार को 50,000 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हो सकता है।
संगठन के अंतर्गत देश भर में 87 लाख ट्रक, 20 लाख बस और टैंपो हैं। राज्यों से मिली खबरों के मुताबिक तमिलनाडु, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, बिहार और उत्तरप्रदेश समेत अन्य जगहों पर सामान की आवाजाही पर असर पड़ा है। AIMTC की तरफ से आहूत अनिश्चितकालीन हड़ताल से दूध, सब्जियों और दवा जैसी जरूरी चीजों की आपूर्ति को छूट दी गयी है। ट्रक संचालकों के एक अन्य संगठन ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन :एटवा: ने हड़ताल से अलग रहने का फैसला किया है।
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