कल को बेहतर बनाने के लिए आज ही करें प्लानिंग
नए वित्त वर्ष में लोगों की आमदनी बढ़ने के साथ ही खर्च भी बढ़ जाता है। खासकर वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए नई वित्तीय योजना बनाने एवं पुराने निवेश की समीक्षा करने का यह बढ़िया अवसर
नए वित्त वर्ष में लोगों की आमदनी बढ़ने के साथ ही खर्च भी बढ़ जाता है। खासकर वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए नई वित्तीय योजना बनाने एवं पुराने निवेश की समीक्षा करने का यह बढ़िया अवसर है।
नया वित्तीय वर्ष शुरू हुए एक माह पूरा हो चुका है। वेतनभोगी कर्मचारियों से उनके लेखा विभाग ने चालू वित्त वर्ष के लिए निवेश का ब्योरा मांग लिया होगा। जिन संस्थानों में यह प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई होगी, वहां इस बाबत जल्द ही सकरुलर जारी हो जाएगा। ऐसे में वेतनभोगी कर्मचारियों को कुछ दिनों में चालू वित्तीय वर्ष के दौरान टैक्स बचाने के लिए निवेश के ब्योरे की घोषणा करनी होगी। इसलिए यह अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग व पुराने निवेश की समीक्षा करने का सही मौका है ताकि आप टैक्स बचाने के लिए जिन योजनाओं में निवेश करें वह आपकी भविष्य की आर्थिक जरूरतों के हिसाब से हों। बेहतर कल के लिए आज से ही प्लानिंग करना जरूरी है।
वित्तीय लक्ष्य बनाएं
बचत के लिए लिए प्लानिंग करना बहुत जरूरी है। यदि आपका मासिक वेतन 50000 रुपए है और आप प्लानिंग नहीं कर रहे हैं तो महीने के खर्च के लिए यह रकम भी कम पड़ सकती है। बेहतर प्लानिंग के जरिए कम आय में से बचत की जा सकती है। आर्थिक स्थिति मजबूत बनाने के लिए आपकी आय व व्यय में सही तालमेल होना जरूरी है। इसके लिए जरूरी है कि घरेलू बजट बनाया जाए। नए वित्तीय वर्ष में आय और खचरे को ध्यान में रखकर अभी से अपना बजट बनाएं। खचरे का हिसाब करते समय अपने वित्तीय लक्ष्यों के लिए जो निवेश करना है उसे भी अपने बजट में शामिल करें। अन्यथा सारी आय खर्च में ही चली जाएगी और निवेश के लिए पैसे ही नहीं बचेंगे। शुरुआत में आपके वित्तीय लक्ष्य छोटे-छोटे होने चाहिए।
टैक्स प्लानिंग करें
यदि आप सुनियोजित तरीके से टैक्स की प्लानिंग करते हैं तो इसके जरिए एक साथ कई लक्ष्य हासिल कर सकते हैं। वेतनभोगी कर्मचारियों को जो घर किराया भत्ता मिलता है वह आयकर की धारा-10 के तहत करमुक्त हो सकता है बशर्ते कि आप किराए के घर में रह रहे हों। इसके लिए नियोक्ता आपसे घर किराए का एग्रीमेंट व किराए की रसीद मांगता है। इसलिए यदि अभी तक आपका किराए का एग्रीमेंट नहीं बना है या फिर पंजीकृत नहीं हुआ है तो वित्तीय वर्ष के आरंभ में ही इस काम को पूरा कर लें। किराए की रकम जहां तक हो सके चेक के जरिए अदा करें या फिर मकान मालिक के बैंक खाते में सीधे ट्रांसफर करें। नकदी में किराया देना कालेधन की श्रेणी में आ सकता है। आयकर की धारा 80सी के तहत आप 1.5 लाख रुपए तक निवेश करके आयकर में छूट का लाभ ले सकते हैं। आपके पास इसके लिए निवेश के बहुत से विकल्प उपलब्ध हैं लेकिन स्कीम का चुनाव अपनी जरूरत को ध्यान में रखकर करें। इसके लिए वित्त वर्ष के अंतिम समय का कतई इंतजार न करें।
क्या हैं विकल्प
टैक्स सेविंग के लिए यदि आप अपनी दीर्घावधि की जरूरतों को ध्यान में रख कर निवेश कर रहे हैं तो पीपीएफ एक अच्छा विकल्प है। जीवन बीमा में निवेश से बचें किंतु अपनी जरूरत के मुताबिक एक अच्छी राशि के साथ टर्म इंश्योरेंस प्लान जरूर खरीदें। यदि आप अपनी सेवानिवृत्ति को ध्यान में रखकर निवेश कर रहे हैं तो म्यूचुअल फंड की रिटायरमेंट स्कीम बढ़िया विकल्प है। रिटायरमेंट स्कीम के अलावा म्यूचुअल फंड की ईएलएसएस भी एक अच्छी योजना है। ईएलएसएस में दीर्घावधि में अच्छे लाभ की उम्मीद तो होती ही है साथ ही इस पर मिलने वाला लाभ भी करमुक्त होता है। ईएलएस का लाक इन पीरियड तीन साल का होता है। टैक्स सेविंग के लिए छोटी अवधि में ईएलएसएस से अच्छी कोई योजना नहीं है।
जरूरत का आकलन
एक वित्त वर्ष के दौरान आप आयकर की धारा 80सी के तहत चुनिंदा योजनाओं में 1.5 लाख तक निवेश पर कर कटौती का लाभ ले सकते हैं। इसमें रिटायरमेंट के लिए एक पेंशन प्लान जरूर शामिल करें। मौजूदा स्थिति में इसके लिए नेशनल पेंशन स्कीम यानी एनपीएस सबसे अच्छा विकल्प है। इस बार बजट में घोषणा की गई थी कि आयकर की धारा 80 सीसीडी के तहत अतिरिक्त 50,000 रुपए एनपीएस में निवेश करके टैक्स में छूट ली जा सकती है। आपको इस स्कीम का फायदा उठाने के लिए जरूर विचार करना चाहिए। स्वास्थ्य बीमा के लिए जो प्रीमियम भरते हैं उस पर आपको धारा 80डी के तहत टैक्स में छूट मिलती है। यदि आपने स्वास्थ्य बीमा पालिसी अपने परिवार के लिए ली है तो उस पर 25000 रुपए तक के प्रीमियम पर आपको टैक्स में छूट मिल सकती है। यदि आपने अपने माता-पिता के लिए स्वास्थ्य बीमा पालिसी ली है तो आपको अतिरिक्त 25000 रुपए तक के प्रीमियम पर छूट मिलेगी। वरिष्ठ नागरिकों के लिए आय से कटौती की यह तय सीमा 30000 रुपए है। ऐसे में अपनी प्लानिंग में सबसे पहले जरूरी योजनाओं पर गौर करें।