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सच्चाई के कितने करीब महंगाई के आंकड़े'

नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में 66.29 रुपए लीटर पेट्रोल भरवाते हुए आप किसे कोस रहे हैं? आपकी ओर से चुनी गई सरकार को या दो दिन पहले जारी हुए उन सरकारी आंकड़ों को

आंकड़ो में गिरती...- India TV Hindi आंकड़ो में गिरती बाजार में चढ़ती महंगाई

नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में 66.29 रुपए लीटर पेट्रोल भरवाते हुए आप किसे कोस रहे हैं? आपकी ओर से चुनी गई सरकार को या दो दिन पहले जारी हुए उन सरकारी आंकड़ों को जो महंगाई के लगातार गिरने का दावा कर रहे हैं। बुधवार और गुरुवार को जारी हुए महंगाई के आंकड़ो से आम आदमी को कुछ राहत मिलती, उससे पहले ही शुक्रवार को पेट्रोल और डीजल की बढ़ी कीमतों ने मन खट्टा कर दिया।

शुक्रवार को तेल कंपनियों ने पेट्रोल पर 3.13 रुपए और डीजल 2.71 रुपए/लीटर की बढ़ोतरी का निर्णय लिया है। जबकि इससे पहले गुरुवार को जारी हुए आंकड़ो के मुताबिक अप्रैल में लगातार छठे महीने थोक महंगाई में गिरावट आई है। अप्रैल में थोक महंगाई दर (-)2.65 फीसदी रह गई, जबकि मार्च में यह दर (-)2.33 फीसदी थी। वहीं रिटेल महंगाई मार्च महीने में 5.17 फीसदी रही, जो पिछले साल मार्च महीने में 8.25 फीसदी थी।

आज की परिस्थितियों की मदद से भविष्य में झाकने की कोशिश कीजिए तो आभास होगा कि आने वाले दिनों में महंगाई का विकराल तांडव आंकड़ो में दिखे न दिखे लेकिन यर्थाथ में देखने को मिल सकता है।

पिछले दो माह में हुए बेमौसम बारिश ने सब्जी, फल और अनाज की तमाम फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है। जिसके चलते इनका उत्पादन प्रभावित होना तय है। कृषि मंत्रालय की ओर से बुधवार को जारी तीसरे अग्रिम अनुमान के आंकड़े इसकी ताकीद करते हैं। बुधवार को जारी अनुमान के मुताबिक फसल वर्ष (जुलाई से जून) 2014-15 में खाद्यान्‍न का उत्‍पादन 5.25 फीसदी घटकर 25.11 करोड़ टन रहने का अनुमान है। जबकि फसल वर्ष 2013-14 के दौरान देश में रिकॉर्ड 26.50 करोड़ टन खाद्यान्‍न का उत्‍पादन हुआ था। खाद्यान्‍न में गेहूं, चावल, मोटे अनाज और दालें शामिल हैं।

रबी फसलो से अनाज का उत्पादन पिछले साल से कम, खरीफ फसलों पर कमजोर मानसून और अलनीनो का साया, डीजल महंगा होने से ट्रांस्पोर्टेशन लागत का बढ़ना और कमजोर होते रुपए से आयात का महंगा होना इन आंकड़ो का कॉकटेल यह आभास कराता है कि आने वाले दिनो में महंगाई का तांडव देखने को मिल सकता है। ऐसे में यह सोचना होगा की सच्चाई के कितने करीब हैं ये महंगाई के आंकड़े!