देश की विकास दर चीन के करीब, 7.3 फीसदी
नई दिल्ली: देश की विकास दर 2014-15 में 7.3 फीसदी रही और उम्मीद है कि यह दर चीन के विकास दर के आसपास ही रहेगी। देश की विकास दर 2013-14 में 6.9 फीसदी रही थी।
नई दिल्ली: देश की विकास दर 2014-15 में 7.3 फीसदी रही और उम्मीद है कि यह दर चीन के विकास दर के आसपास ही रहेगी। देश की विकास दर 2013-14 में 6.9 फीसदी रही थी।
चीन की विकास दर अभी जारी नहीं हुई है, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि यह 2014-15 में 7.3 फीसदी ही रहेगी।
विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसे प्रतिष्ठित वैश्विक संगठनों ने उम्मीद जाहिर की है कि भारत सर्वाधिक तेज विकास दर वाली उभरती अर्थव्यवस्था बन सकता है।
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़े के मुताबिक, 2011-12 के स्थिर मूल्य पर 2014-15 में जीडीपी का अनुमानित आकार 106.44 लाख करोड़ रुपये रहा, जो 2013-14 के 99.21 लाख करोड़ से 7.3 फीसदी अधिक है।
जीडीपी से देश में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं की कुल कीमत का बोध होता है।
वर्ष 2012-13 में देश की विकास दर 4.5 फीसदी रही थी। वर्ष 2013-14 में विकास दर 4.7 फीसदी रहने का अनुमान था, लेकिन आधार वर्ष में बदलाव करने के बाद 2013-14 की विकास दर 6.9 फीसदी दर्ज की गई।
ताजा आंकड़े के मुताबिक, 2014-15 की चौथी तिमाही में विकास दर 7.5 फीसदी रही, जो सितंबर-दिसंबर तिमाही में 6.6 फीसदी थी। विकास दर दूसरी तिमाही में 8.4 फीसदी और प्रथम तिमाही में 6.7 फीसदी रही थी।
उद्योग जगत ने विकास दर के ताजा आंकड़े को उत्सावर्धक बताया है।
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के महासचिव ए दीदार सिंह ने यहां एक बयान जारी कर कहा, "2014-15 में 7.3 फीसदी विकास दर उत्साहवर्धक है और यह उम्मीद के अनुरूप है।"
उन्होंने कहा, "कुछ जोखिम हालांकि बना हुआ है। मानसून कमजोर रहने से कृषि उत्पादन प्रभावित हो सकता है। मांग कमजोर रहना चिंता का विषय बना रह सकता है।"
भारतीय उद्योग परिसंघ के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने अपने बयान में कहा, "आंकड़ों से पता चलता है कि पिछली तिमाही के मुकाबले निवेश की मांग बढ़ी है। उम्मीद है कि आने वाले समय में खपत भी बढ़ेगी।"
एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) के अध्यक्ष राणा कपूर ने कहा, "सरकार को जमीनी स्तर पर सुधार करते रहने चाहिए और उसके अनुपालन में भी सुधार करना चाहिए ताकि अर्थव्यवस्था की पूरी क्षमता सामने आ सके।"