1994 के बाद यूआन में सबसे बड़ी गिरावट, भारत पर भी पड़ेगा असर
बीजिंग: आर्थिक सुस्ती और गिरते निर्यात की समस्या से जूझ रहे चीन ने अपनी मुद्रा युआन की सख्त नियंत्रण विनिमय दर में दो प्रतिशत अवमूल्यन कर दिया। उसकी मुद्रा में 1994 के बाद किसी एक
बीजिंग: आर्थिक सुस्ती और गिरते निर्यात की समस्या से जूझ रहे चीन ने अपनी मुद्रा युआन की सख्त नियंत्रण विनिमय दर में दो प्रतिशत अवमूल्यन कर दिया। उसकी मुद्रा में 1994 के बाद किसी एक दिन में आने वाली यह सबसे बड़ी गिरावट है। चीन की मुद्रा की विनिमय दर दूसरे प्रमुख देशों के मुकाबले नीचे आने से चीन का निर्यात सस्ता होगा। विदेशों में उसके उत्पादों की बिक्री बढ़ेगी। पिछले तीन दशक के दौरान इस कम्युनिस्ट देश की आर्थिक वृद्धि में तेजी से बढ़ते निर्यात की अहम भूमिका रही लेकिन हाल के दिनों में इसमें गिरावट आई है।
चीन के केन्द्रीय बैंक, पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने कहा, आज से चीन के विदेशी मुद्रा विनिय व्यापार प्रणाली को कारोबार के लिए संदर्भ दरें पिछले दिन के अंतर-बैंक विदेशी विनिमय दरों के बंद भाव, बाजार में मांग और आपूर्ति और प्रमुख मुद्राओं के मूल्य में आने वाले उतार चढ़ाव के आधार पर तय होंगी। केन्द्रीय बैंक के इस बदलाव की घोषणा के साथ ही चीन की मुद्रा आरएमबी युआन की दर में 1,136 आधार अंक की तेज गिरावट आई और यह अमेरिकी डॉलर के मुकाबले एक दिन पहले के 6.1162 से करीब दो प्रतिशत कमजोर पड़कर 6.2298 युआन प्रति डॉलर पर आ गया। सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने यह जानकारी दी।
पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना के इस कदम से वर्ष 2005 में चीन ने जब अपनी विनिमय दर प्रणाली में सुधार करते हुए अमरिकी डॉलर के साथ इसे मुक्त था उसके बाद की सबसे बड़ी गिरावट आई है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले इसमें दो प्रतिशत की गिरावट 1994 के बाद किसी एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट है। केन्द्रीय बैंक ने अपने इस कदम के लिए मजबूत अमेरिकी डॉलर और युआन में आती मजबूती को प्रमुख वजह बताया। चीनी प्रशासन ने कहा कि इस बदलाव से उनकी मुद्रा बाजार के अनुरूप आगे बढ़ेगी। इस कदम को चीन की आर्थिक वृद्धि में आई नरमी के प्रति सरकार की बढ़ती चिंता के तौर पर भी देखा जा रहा है। इसके साथ ही चीन के शेयर बाजार में हाल में आई भारी गिरावट से भी चिंता बढ़ी। शेयर मूल्यों में आई गिरावट से निवेशकों की 3,200 अरब डॉलर की संपत्ति का नुकसान हुआ। जुलाई में निर्यात सालाना आधार पर 8.3 प्रतिशत घट गया।
विश्लेषकों का मानना है कि कमजोर मुद्रा की पहल से चीन के निर्यात को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। चीन के केन्द्रीय बैंक ने कहा है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुधार आने के साथ वहां इस साल के भीतर ब्याज दर में वृद्धि की उम्मीद बढ़ने से उभरती अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं में डॉलर के मुकाबले अवमूल्यन हुआ है। लेकिन चीन की मुद्रा के मजबूत बने रहने से चीन के निर्यात पर दबाव बढ़ा है।
चीन की सरकार अब तक अर्थशास्त्रियों के इस सुझाव का विरोध करती रही है कि अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए मुद्रा का अवमूल्यन होने दिया जाना चाहिए। चीन की अर्थव्यवस्था की वृद्धि सात प्रतिशत के आसपास बनी हुई है और इसके गिरकर 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया जा रहा है। इस बीच चीन के केन्द्रीय बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री मा जून ने कहा है कि युआन को अमेरिकी डॉलर के समक्ष कमजोर पड़ने देने से इसमें आई दो प्रतिशत की गिरावट अवमूल्यन नहीं है। यह तकनीकी सुधार है और इसे भविष्य के अवमूल्यन का संकेतक नहीं माना जाना चाहिए।
अगली स्लाइड में पढ़ें युआन में अवमूल्यन से भारत का निर्यात होगा प्रभावित