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मैगी की वापसी को लेकर ट्विटर पर मिलीजुली प्रतिक्रिया

नई दिल्ली: बंबई उच्च न्यायालय ने नेस्ले इंडिया के ब्रांड मैगी नूडल पर रोक हटा दी है। इसके बाद माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने का मिली। माइक्रोब्लॉगिंग साइट की एक उपयोगकर्ता साइमा

मैगी की होगी दोबारा...- India TV Hindi मैगी की होगी दोबारा जांच, हट सकता है बैन

नई दिल्ली: बंबई उच्च न्यायालय ने नेस्ले इंडिया के ब्रांड मैगी नूडल पर रोक हटा दी है। इसके बाद माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने का मिली। माइक्रोब्लॉगिंग साइट की एक उपयोगकर्ता साइमा ने ट्विटर पर लिखा, "मैगी पर रोक हटी। हॉस्टल में रहने वालों के लिए पार्टी करने का मौका। यह मध्य रात्रि में भूख मिटाने का एक मात्र जरिया है।"

एक अन्य उपयोगकर्ता ने लिखा, "मैगी की वापसी। भारतीय लड़कियां अपने बायोडाटा में लिख सकती हैं कि उन्हें खाना बनाना आता है, सिर्फ दो मिनट में।"

के.सी. नाम के एक उपयोगकर्ता ने लिखा, "मुझे माफ करना मैगी। मैं अब तुम्हें पसंद नहीं करता।"

फिल्मी दुनिया के शिरीष कुंदर ने रोक पर व्यंग्य करते हुए लिखा, "मैगी पर रोक हटी। पतंजलि नूडल के लिए अशुभ खबर, जो जल्द ही बाजार में आने वाला है।"

फिल्म 'मस्ती' और 'हे बेबी' के लिए पहचाने जाने वाले पटकथा लेखक मिलाप झवेरी ने लिखा, "लाइफ में फिर से मसाले की वापसी।" एक उपयोगकर्ता निगेल ने लिखा, "सरकार को मैगी में मिलाए जाने वाले तत्वों की जांच करनी चाहिए।" रोक हटाए जाने की खबर के बाद ट्विटर पर मैगी शब्द ट्रेंड कर रहा है।

मैगी पर रोक हटी, फिर से जांच के आदेश

बंबई उच्च न्यायालय ने गुरुवार को नेस्ले इंडिया कंपनी को एक बड़ी राहत दी। अदालत ने मैगी नूडल्स की बिक्री से रोक हटा ली। साथ ही उसे तीन अलग-अलग प्रयोगशालाओं में इसकी दोबारा जांच कराने के लिए कहा है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि इसने देश के खाद्य सुरक्षा नियमों का पालन किया है या नहीं। न्यायालय ने नेस्ले इंडिया को यह सशर्त राहत उसकी ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दी, जिसमें उसने खाद्य सुरक्षा और भारत मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) की ओर पांच जून को 'मैगी इंस्टेंट नूडल्स' और 'मैगी ओट्स मसाला नूडल्स विद टेस्टमेकर' की नौ किस्मों पर रोक लगाने और बाजार से माल वापस लेने के आदेश को चुनौती दी थी।

न्यायमूर्ति वी.एम. कनाडे और न्यायमूर्ति बी.एस. कोलाबावाला की खंडपीठ ने अगले छह सप्ताह के भीतर तीन अलग-अलग प्रयोगशालाओं में सभी प्रमुख मैगी उत्पाद के नूमनों की नई सिरे से जांच कराने के आदेश दिए हैं। इसके बाद ही मैगी को फिर से बाजार में पेश किया जा सकता है।

न्यायमूर्ति कनाडे ने कहा, "हमने सबूत की विस्तृत जांच की है। याचिकाकर्ता नेस्ले खाद्य अधिकारियों के संतुष्ट होने तक मैगी बनाने और इसकी बिक्री न करने के लिए राजी है, इसलिए हमें खाद्य अधिकारियों को राहत देने की कोई वजह नहीं दिखती।"

भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) और उद्योग नियामक ने अपने आदेश में कहा था कि मैगी के नमूनों की जांच में उसे निर्धारित मात्रा से अधिक लेड (सीसा) और मोनो सोडियम ग्लूटामेट मिला है।

न्यायमूर्ति कनाडे और कोलाबावाला ने कहा कि कंपनी ने स्वयं कहा था कि वह खाद्य सुरक्षा नियामक से मान्यताप्राप्त प्रयोगशालाओं से क्लीन चिट मिलने तक मैगी का उत्पादन और बिक्री नहीं करेगी।

नेस्ले को तीन प्रयोगशालाओं में जांच के लिए मैगी के प्रत्येक समूह से पांच नमूने उपलब्ध कराने का भी आदेश दिया गया है। यह भी कहा गया है कि लेड की मात्रा निर्धारित सीमा से कम मिलने पर ही कंपनी को मैगी के पुन: उत्पादन और बिक्री की इजाजत मिल सकती है।

उल्लेखनीय है कि सरकार ने एक दिन पहले कहा था कि नेस्ले इंडिया ने व्यापार का अनुचित तौर-तरीका अपनाया है और उससे होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए सरकार ने कंपनी से 640 करोड़ रुपए की मांग की।

राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) इस मामले में शुक्रवार को सुनवाई करने वाला है।

कंपनी ने हाल में कहा था कि देश-विदेश की प्रयोगशालाओं में मैगी के 2,700 से अधिक नमूनों की जांच की जा चुकी है। सभी का निष्कर्ष यह रहा है कि नूडल में सीसे की मात्रा सीमा के भीतर है।

कंपनी ने यह भी कहा कि सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त मैसूर के केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी शोध संस्थान ने गोवा के खाद्य और औषधि प्रशासन द्वारा दिए गए पांच नमूनों की जांच की और पाया कि सीसे की मात्रा सीमा के अंदर है।

कंपनी ने कहा, "पूरी दुनिया के एजेंसियों ने भारत में बने मैगी नूडल की जांच कर पाया है कि यह खाने के लिए पूरी तरह सुरक्षित है।"