गया: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के पोलित ब्यूरो सदस्य और एक करोड़ रुपये के इनामी प्रमोद मिश्र को गिरफ्तार कर लिया गया है। उसपर झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ और आंध्रप्रदेश में नक्सली वारदातों के दर्जनों मामले दर्ज हैं। दिल्ली, पंजाब, हरियाणा सहित कई राज्यो में नक्सली संगठनों के विस्तार में प्रदीप मिश्रा का अहम रोल रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, बिहार के गया जिले के टिकारी प्रखंड अंतर्गत पड़री गांव के जरही टोला से पुलिस ने प्रमोद मिश्रा समेत दो माओवादियों को गिरफ्तार किया है।
स्पेशल टीम ने प्रदीप मिश्रा और उसके साथी को अरेस्ट किया
गया के SSP आशीष भारती के अनुसार प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) के दोनों सक्रिय सदस्य प्रमोद मिश्रा और अनिल यादव जिले के टेकारी प्रखंड में छिपे होने की सूचना मिलने पर स्थानीय पुलिस और CRPF की कोबरा बटालियन के कर्मियों की एक विशेष टीम गठित की गई। भारत ने बताया कि इसके बाद पूरे इलाके में छापेमारी की गई और मिश्रा को जरही टोला गांव से यादव के साथ गिरफ्तार किया गया। उन्होंने कहा कि मिश्रा पर झारखंड सरकार ने इनाम की घोषणा की है। SSP के मुताबिक, भाकपा (माओवादी) के स्वयंभू पोलित ब्यूरो सदस्य मिश्रा निकटवर्ती औरंगाबाद जिले का रहने वाला है, जबकि यादव गया के एक गांव का रहने वाला है।
2 महिलाओं समेत 4 लोगों को मारकर लटकाने का है आरोप
SSP ने दावा किया कि दोनों का नाम विभिन्न राज्यों में दर्ज कई मामलों में शामिल है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2004 में जेल से रिहा होने के बाद से फरार मिश्रा का नाम 2006 में अमेरिका द्वारा संकलित ‘मोस्ट वॉन्टेड आतंकवादियों’ की लिस्ट में भी शामिल किया गया है। मिश्रा पर 2021 के एक मामले में शामिल होने का आरोप है जिसमें 2 महिलाओं सहित 4 लोगों की हत्या करने के बाद उनके शव एक पेड़ से लटका दिए गए थे। बताया जाता है कि मिश्रा और यादव गया में ‘एक बड़ी वारदात’ को अंजाम देने की योजना बना रहे थे।
एक करोड़ रुपये का इनामी क्यों बना प्रमोद मिश्रा?
कई लोगों के मन में सवाल आ सकता है कि आखिर प्रमोद मिश्रा एक करोड़ रुपये का इनामी कैसे बना? दरअसल, प्रमोद मिश्रा की गिनती माओवादियों के संगठन में देश के स्तर पर मास्टरमाइंड और प्रमुख रणनीतिकार के रूप में होती है। वह सालों तक जेल में रहा और 2017 में सबूत के अभाव में छूटने के बाद अंडरग्राउंड हो गया। वह संगठन में सोहन दा, शुक्ला जी, कन्हैया, जगन भरत जी, नूर बाबा, बीबी जी, अग्नि और बाण बिहारी जैसे नामों से जाना जाता है। वह कितना खतरनाक है इसका अंदाजा इसी बात से लगााय जा सकता है कि NIA और पुलिस बीते कई महीनों से उसकी गिरफ्तारी के लिए प्रयासरत थी।