Tejashwi Yadav: तेजस्वी यादव आज दूसरी बार बिहार के डिप्टी सीएम बन गए हैं। उन्होंने जिस तरह से पूरे माहौल से डील किया, वह दिखाता है कि लालू यादव कि विरासत सही हाथों में गई है और तेजस्वी के अंदर पार्टी को संभालने और राजनीतिक दांव पेंच चलने की पूरी समझ है। सबसे खास बात तब दिखी जब तेजस्वी ने शपथग्रहण के बाद नीतीश कुमार के पैर छुए। तेजस्वी का ये भाव देख कर नीतीश कुमार भी भावुक हो गए और उन्होंने तेजस्वी को गले से लगा लिया। सब कुछ देख कर लगा जैसे इनका रिश्ता पहले से ही इतना मधुर रहा है। हालांकि, ऐसा नहीं है। क्योंकि जब नीतीश कुमार बीजेपी के साथ सरकार में थे तो यही तेजस्वी यादव उन्हें हर जगह घेरने की कोशिश करते थे और उन पर तरह-तरह के आरोप लगाते थे।
क्या संदेश देना चाहते हैं तेजस्वी
तेजस्वी यादव अब राजनीतिक रूप से पूरी तरह से परिपक्व हो गए हैं। उन्हें मालूम है कि कब कहां झुकना है और कब कहां सीना चौड़ा करना है। तेजस्वी को पता है कि उनके और नीतीश कुमार के रिश्तों में कितनी कड़वाहट है, इसलिए सार्वजनिक रूप से अपने से बड़े नीतीश कुमार का पैर छूकर उन्होंने जता दिया कि वह अब पिछला सब कुछ भूल चुके हैं और इस रिश्ते को एक नया रूप देना चाहते हैं। इसके साथ ही उनका पैर छूना उन तमाम आरजेडी के नेताओं को संदेश था जो अभी भी नीतीश कुमार के साथ सरकार बनाने को लेकर नाखुश हैं कि अब यह रिश्ता दिल से जुड़ गया है तो नीतीश चाचा के बारे में कुछ भी बयान देने से पहले सौ बार सोच लें।
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लालू और नीतीश कुमार एक साथ के नेता
तेजस्वी यादव ऐसे ही नीतीश कुमार को अपना चाचा नहीं बताते हैं। अतीत में झांके तो दिखता है कि कैसे लालू यादव और नीतीश कुमार ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत एक साथ एक आंदोलन और एक ही गुरु के अधीन रह के की थी। दरअसल, जेपी ने जब कांग्रेस के खिलाफ छात्र आंदोलन की शुरुआत की तो उस समय लालू यादव और नीतीश कुमार एक साथ उनके आंदोलन से जुड़े और मिल कर कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोला। तो असल में देखें तो चाचा नीतीश कुमार का पैर छूकर तेजस्वी यादव ने भारतीय पंरपरा का सम्मान किया है।