पटना: बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि पूर्ण शराबबंदी वाले बिहार में अवैध शराब के कारोबार के जरिए कमाई की समानांतर काली अर्थव्यवस्था चल रही है। तेजस्वी ने उक्त आरोप बिहार विधानसभा में 2021-22 के बजट पर चर्चा के दौरान लगाते हुए कहा कि प्रदेश में शराबबंदी का क्या हाल है? यह किसी से छुपा हुआ नहीं है।
उल्लेखनीय है कि बिहार में नीतीश कुमार सरकार ने अप्रैल 2016 से पूर्णशराबबंदी लागू की हुई है। हाल ही में सीतामढ़ी जिले में शराब तस्करों के साथ मुठभेड़ में एक अवर निरीक्षक की मौत का जिक्र करते हुए तेजस्वी ने कहा, ''सीतामढ़ी में क्या हुआ, यह हम सभी को पता है। यहां तो ऐसी स्थिति बनी हुई है कि किसी की भी हत्या हो जाती है। पहले सुनते थे कि अपराधी का एनकाउंटर होता है, पर अब यहां दारोगा जी का एनकाउंटर हो रहा है। इससे शराबबंदी की कलई खुल गयी पर सरकार जरा भी गंभीर नहीं है।''
उन्होंने कहा, ''यहां पुलिस की जीप चलती कम, धुआं अधिक फेंकती है और अपराधी स्कार्पियो वाहन से एके47 के साथ घूमते हैं और यहां सम्मान के लिए पुलिस जब राइफल से फायरिंग करती है तो उससे गोली ही नहीं निकलती है।'' इस बजट में पुलिसिंग को कैसे बेहतर किया जाए इसका उल्लेख नहीं है। पुलिस विभाग में कई पद रिक्त हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश में शराबबंदी के पूर्व जो शराब की एक बोतल 200 रुपये में उपलब्ध थी, कोई इसे अब 1500 रुपये में प्राप्त कर सकते हैं। पहले लोग शराब खरीदने के लिए दुकानों का सहारा लेते थे। अब इसे उनके घरों तक पहुंचाया जा रहा है। तेजस्वी ने कहा, ''आबकारी राजस्व के जरिए राज्य सालाना 400 करोड़ रुपये कमाता था फिर भी हमने 2016 में शराब पर प्रतिबंध के फैसले का समर्थन किया था। हमने बिहार को नशा मुक्त की उम्मीद की थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ है।''