प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने पार्टी की याचिका खारिज करते हुए बिहार उपचुनाव की तारीखों में बदलाव करने से इंकार कर दिया है। प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। इस याचिका में कहा गया था कि छठ का त्योहार होने के चलते बिहार में उपचुनाव की तारीख आगे बढ़ाई जानी चाहिए। पार्टी ने पहले चुनाव आयोग से तारीख आगे बढ़ाने की अपील की थी, लेकिन जब चुनाव आयोग ने बात नहीं सुनी तो सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, लेकिन उनकी बात नहीं मानी गई।
चुनाव आयोग ने बिहार में उपचुनाव के लिए 13 नवंबर की तारीख तय की है। हालांकि, जन सुराज पार्टी का कहना था कि मतदान 20 नवंबर को होना चाहिए। अब कोर्ट ने तय कर दिया है कि यहां 13 नवंबर को ही मतदान होंगे और 23 नवंबर को नतीजे आएंगे।
यूपी-बिहार का दिया था उदाहरण
याचिका में जन सुराज पार्टी ने दलील दी थी कि उत्तर प्रदेश, पंजाब और केरल में चुनावों की तारीख को धार्मिक आयोजनों के आधार पर चुनाव आयोग ने आगे बढ़ाया था, जबकि बिहार में छठ जैसा लोक पर्व होने के बावजूद उपचुनावों की तारीखों को आगे नहीं बढ़ाया गया है। याचिका के मुताबिक चुनाव आयोग का बिहार में चुनाव स्थगित करने के अनुरोध पर विचार न करना अन्यायपूर्ण और संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन भी है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट इससे सहमत नहीं नजर आया और याचिका खारिज कर दी।
बिहार की चार सीटों पर हो रहा उपचुनाव
बिहार की चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं। बेलागंज, इमामगंज, रामगढ़ और तरारी में लगभग एक साल के लिए नया विधायक चुना जाना है। इसके बाद यहां मौजूदा सरकार का कार्यकाल खत्म होगा और दोबारा विधानसभा चुनाव होने हैं। चार विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए 13 नवंबर को मतदान होगा और 23 नवंबर को नतीजे जारी किए जाएंगे। जन सुराज सभी चार सीट पर चुनाव लड़ रही है। यह पहला मौका है, जब जन सुराज पार्टी चुनावी मैदान में उतरी है। एक साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी पूरे दमखम के साथ चुनावी मैदान में उतरेगी। फिलहाल प्रशांत किशोर पूरे राज्य में जन सुराज यात्रा के जरिए जमीनी स्तर पर जन समर्थन हासिल कर रहे हैं।