Bihar Political Drama: बिहार में सियासी उठा पटक के बीच आरजेडी और जदयू की सरकार बन गई है। अब फिर से नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद की कुर्सी संभाल ली है, तो वही आरजेडी से तेजस्वी यादव उप मुख्यमंत्री का पद पर काबिज हो गए हैं। इसी बीच सोशल मीडिया पर तेजी से लोग सर्च कर रहे हैं कि आखिर नीतीश कुमार को पलटू राम किसने कहा था। आपके मन में भी यह सवाल होंगे तो चलिए आज जानते हैं कि इन्हें पलटू राम किसने कहा था और क्यों कहा था।
सोशल मीडिया पर ट्रेंड ये पलटू राम कैसे बन गए
एक बार फिर से नीतीश कुमार ने एनडीए से रिश्ता तोड़कर आरजेडी के साथ रिश्ता जोड़ लिया है। अब इसी को लेकर सोशल मीडिया पर नीतीश कुमार को लोग ट्रोल कर रहे हैं कि ये पलटू राम है। आपको बता दें, लालू प्रसाद यादव ने नीतीश कुमार को सबसे पहली बार पलटू राम कहा था। 2014 में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री का कैंडिडेट बनाए जाने पर उन्होंने नाराजगी जताई थी जिसके बाद एनडीए से गठबंधन तोड़कर 2015 में आरजेडी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में नीतीश कुमार की जीत हुई और वह फिर से बिहार के मुख्यमंत्री बन गए लेकिन 2 साल बाद ही आरजेडी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए गठबंधन तोड़ लिया। इसी दौरान नीतीश कुमार को लेकर लालू प्रसाद यादव ने कहा था कि "नीतीश कुमार को मैं शुरू से जानता हूं, नीतीश से मैं सीनियर हूं वह कल कह रहे थे कि लालू यादव को नेता हमने बनाया। अपने पूरे संपूर्ण काल में नीतीश कुमार ने ना जाने कितने लोगों का दामन पकड़ा छोड़ा। यह पलटू राम है।"
एक नजर नीतीश कुमार के पॉलिटिकल कैरियर पर
नीतीश कुमार ने अपनी राजनीतिक यात्रा पटना यूनिवर्सिटी से शुरूआत की थी। उस समय जयप्रकाश नारायण की अगुवाई में कई छात्र आंदोलन में शामिल हुए। 1977 में पहली बार जब चुनाव लड़े तो हार मिली लेकिन 1985 में हरनौत से विधायक चुने गए। यही से नीतीश कुमार की कैरियर में काफी तेजी से बदलाव हुआ। 1989 में बाढ़ से पहली बार सांसद चुने गए और इसके बाद 1998 में भी सांसद रहे। अटल की सरकार में रेल मंत्रायल को संभाला। वही 1999 में 5वीं बार सांसद का चुनाव जीता। अगर बात करें नीतीश कुमार की मुख्यमंत्री बनने कि तो वो सबसे पहली बार 3 मार्च 2000 को मुख्यमंत्री बने लेकिन बहुमत नहीं होने के कारण उनकी सरकार महज 7 दिन बाद ही गिर गई और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
दुसरी बार 2005 में बीजेपी के समर्थन से मुख्यमंत्री बने। इस बार उन्होंने अपने कार्यकाल को 24 नवंबर 2010 तक पूरा किया। तीसरी बार 26 नवंबर 2010 और चौथी बार बीजेपी से अलग होकर 19 नवंबर 2015 में मुख्यमंत्री बने। हालांकि इस दौरान काफी उतार चढ़ाव देखा गया है। 2014 के लोकसभा में खराब प्रदर्शन होने के कारण मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बना दिया था। इसके बाद राजद के साथ 2015 में चुनाव लड़ा और जीत दर्ज करने के बाद 20 नवंबर 2015 को पांचवी बार मुख्यमंत्री का शपथ लिया था। इसके बाद कुछ साल सरकार चलने के बाद नीतीश कुमार ने आरजेडी से रिश्ता तोड़कर बीजेपी के समर्थन छठवीं बार सीएम बने। 16 नवंबर 2020 को सातवीं बार मुख्यमंत्री बने इस वक्त वो बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव को लड़ा था लेकिन इस चुनाव में जेडीयू का प्रदर्शन अच्छी नहीं रही थी। अब फिर से 8वीं बार 10 अगस्त 2022 को मुख्यमंत्री का पद संभाला लिया लेकिन इस बार आरजेडी के साथ मिलकर सरकार बनाया।