दूसरे राजनेताओं को राजनीतिक शिखर पर पहुंचाने वाले प्रशांत किशोर अब खुद राजनैतिक हसरतों के साथ जनसंपर्क के लिए पद यात्रा पर निकल पड़े हैं। प्रशांत किशोर ने 3500 किलोमीटर की पदयात्रा शुरू कर दी है। राजनीतिक रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर ने अपने जन सुराज अभियान के तहत रविवार को पश्चिम चंपारण जिले से पदयात्रा पर निकल पड़े हैं। प्रशांत किशोर ने अपनी यात्रा पश्चिम चंपारण के भितिहारवा प्रखंड स्थित गांधी आश्रम से महात्मा गांधी की 153वीं जयंती के अवसर पर शुरू की।
राजनीति में नए सिरे से प्रवेश की संभावना
गौरतलब है कि प्रशांत किशोर ने जिस गांधी आश्रम से अपनी यात्रा का आगाज किया, इसी जगह से राष्ट्रपिता ने भी 1917 में अपना पहला सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया था। किशोर ने रविवार दोपहर करीब 1.45 बजे अपने समर्थकों के साथ सड़कों पर माहौल बनाने के साथ मार्च निकाला जहां रास्ते में लोगों ने उनका स्वागत किया। पीके की यह यात्रा 12-18 महीनों तक चलने की संभावना है, इसके बाद उनके व्यापक रूप से राजनीति के क्षेत्र में नए सिरे से प्रवेश किए जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है। हालांकि किशोर ने अक्सर इस बात पर जोर दिया है कि ऐसा कोई भी निर्णय केवल वे लोग ही ले सकते हैं जो खुद को उनके साथ अभियान में जोड़ते हैं।
ये है पीके की यात्रा का मकसद
जन सुराज की ओर से हाल ही में जारी एक बयान में कहा गया है कि प्रशांत किशोर यात्रा के दौरान हर पंचायत और प्रखंड तक पहुंचने का प्रयास करेंगे और बिना कोई ब्रेक लिए इसके अंत तक इसका हिस्सा रहेंगे। बयान में कहा गया है कि यात्रा के तीन मुख्य लक्ष्य हैं, जिसमें जमीनी स्तर पर सही लोगों की पहचान करना और उन्हें लोकतांत्रिक मंच पर लाना शामिल है। किशोर की कंपनी आईपैक ने भारत में कई राजनीतिक दलों के साथ काम किया है।
जनसंपर्क के लिए फिर से ‘यात्रा’ के फार्मूले राजनीतिक दल
ये भी ध्यान देने वाली बात है कि इस राजनीतिक मौसम में बड़ी संख्या में यात्राएं की जा रही हैं। तमाम नई तकनीक और सोशल मीडिया की सुविधा होने के बावजूद राजनीतिक दल यात्रा के माध्यम से जन संपर्क के बेहतर और पुराने फॉर्मूले को फिर से अपना रहे हैं। राहुल गांधी ने कांग्रेस के कई अन्य नेताओं के साथ, पिछले महीने 3,570 किलोमीटर की कन्याकुमारी से कश्मीर ‘भारत जोड़ो’ यात्रा शुरू की थी। रविवार को दो और यात्राएं शुरू हुईं, जिनमें ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के नेतृत्व में बीजू जनता दल (बीजद) की जन संपर्क पदयात्रा और पश्चिम चंपारण के गांधी आश्रम से बिहार के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की 3,500 किलोमीटर लंबी पदयात्रा शामिल हैं।