बिहार में नीतीश सरकार ने अपने खर्च पर जातीय जनगणना शुरु करवा दी है। इसको लेकर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने नीतीश के साथ गठबंधन में सरकार चला रही RJD के मुखिया लालू यादव पर तंज कसा है। मोतिहारी में मीडिया से बातचीत के दौरान जातीय राजनीति के सवाल पर प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में समाजवाद के नाम पर गरीबी का बंटवारा हुआ है। आज बिहार में नेता जाति की भी राजनीति नहीं कर रहे हैं। वो सिर्फ अपना फायदा देख रहे हैं।
"...तो यादव समाज के लोग धनी हो गए होते"
प्रशांत किशोर ने अगा कहा, "बिहार के लोगों को जाति-समूहों में बांटकर राजनेताओं ने अपनी रोटी सेकने का काम किया है। जाति की राजनीति आप तब कहेंगे न जब लालू अपनी जाति से किसी यादव लड़के को आगे बढ़ने-बढ़ाने की बात करते नजर आएं। मांझी जी, कहां कहते हैं कि मुसहर समाज के लड़के को आगे बढ़ाना है? ये तो अपने और अपने परिवार के लोगों और घर के लड़कों को आगे बढ़ाने की बात करते हैं। अगर जातियों की भी राजनीति हुई होती तो आज यादव समाज के लोग धनी हो गए होते। कम से कम 13 प्रतिशत बिहार के लोग अच्छे हो गए होते। बिहार के नेता जाति का इस्तेमाल कर रहे हैं, अपने परिवार और स्वार्थ की राजनीति को मजबूत करने के लिए।"
बिहार में जाति आधारित जनगणना शुरू
बता दें कि काफी खींचतान के बाद शनिवार से बिहार में जाति आधारित जनगणना शुरू हो चुकी है। करीब 500 करोड़ के खर्च से इसे दो चरणों में पूरा किया जाएगा। नीतीश कुमार का दावा है कि जाति आधारित जनगणना के नतीजों से विकास को तेज किया जा सकेगा। बिहार में जाति आधारित जनगणना के लिए राज्य सरकार करीब 500 करोड़ रुपये खर्च करेगी। इसे दो चरणों में पूरा किया जाना है। पहला चरण 7 से 21 जनवरी तक चलेगा और दूसरा चरण 1 अप्रैल से शुरू होकर 30 अप्रैल तक चलेगा। बता दें कि जातीय जनगणना के पहले चरण में केवल मकानों की गिनती की जाएगी और फिर दूसरे चरण में जातियों की गिनती कर डेटा जुटाया जाएगा।