औरंगाबाद: बिहार में होम्योपैथ की दवा से शराब बनाने के बाद अब जुगाड़ से अफीम की खेती का एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। सूबे के औरंगाबाद जिले के मदनपुर और ढिबरा थाना क्षेत्र में करीब 10 एकड़ जमीन में अवैध रूप से लगायी गयी अफीम की फसल को पुलिस ने नष्ट किया है। पुलिस अधीक्षक स्वप्ना गौतम मेश्राम ने मंगलवार की शाम आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि मदनपुर थाना अंतर्गत बादम गांव और ढ़िबरा थाना अंतर्गत छुछिया, ढाबी एवं महुआ गांव के जंगली इलाके में अफीम की खेती किये जाने की खुफिया जानकारी मिली थी।
‘चारों ओर लगाई थी मक्का और अरहर की फसलें’
एसपी ने बताया कि इन इलाकों के लोगों की नजर से छिपाने के लिए अफीम की फसल के चारों ओर कुछ दूरी तक वैसी मक्का और अरहर जैसी फसलें लगाई गई थीं, जिनकी ऊंचाई अधिक थी। मेश्राम ने बताया कि मदनपुर थाना क्षेत्र में करीब 3 एकड़ और ढिबरा थाना क्षेत्र में करीब 7 एकड में लगायी गयी अफीम की अवैध फसल को नष्ट करने के लिए पुलिस की 2 अलग-अलग टीमों का गठन किया गया था। पुलिस द्वारा नष्ट की गयी अफीम की फसल की कीमत करीब 20 करोड़ रुपये आंकी गयी है। अफीम की फसल में मोटी-मोटी गांठे उभर आई थी जिसका मतलब है के यह जल्द ही तैयार होने वाली थी।
‘इस मामले में अभी किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है’
बता दें कि पौधों की इन्हीं गांठों में चीरा लगाया गया था ताकि उनसे निकलने वाले चिपचिपे पदार्थ को जमा कर अफीम तैयार किया सके। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि इस मामले में तत्काल किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है और अभी अफीम की खेती करनेवालों को चिन्हित किया जा रहा है। इस तरह की खेती करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि माओवादियों द्वारा अफीम की खेती कराने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। इन इलाकों में पहले भी माओवादियों द्वारा अफीम की खेती कराने के कई मामले सामने आ चुके हैं।
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