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Hindi News बिहार सांपों का मेला! जितने लोग उतने सांप, करतब देख हैरत में पड़ जाएंगे; जानें क्या है 'माता विषहरी की पूजा'

सांपों का मेला! जितने लोग उतने सांप, करतब देख हैरत में पड़ जाएंगे; जानें क्या है 'माता विषहरी की पूजा'

बिहार के समस्तीपुर जिले में सांपों का मेला देखने को मिला है। दरअसल, यहां पर हर साल विषहर माता की पूजा की जाती है। इसके लिए सैकड़ों सांप पकड़े जाते हैं, लोग इन सांपों के साथ खेलते भी हैं। पूजा के बाद सांपों को जंगल में छोड़ दिया जाता है।

हर साल की जाती है विषहरी माता की पूजा।- India TV Hindi Image Source : INDIA TV हर साल की जाती है विषहरी माता की पूजा।

समस्तीपुर: जिले के विभूतिपुर थाना क्षेत्र से एक हैरान कर देने वाला वीडियो सामने आया है। वीडियो देखकर आपके भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे। दरअसल, यहां पर एक-दो नहीं बल्कि सैकड़ों सांपों से खेल रहे लोग दिखाई दे रहे हैं। वहीं इस वीडियो को देखकर जहां आम लोग हैरानी जता रहे हैं तो वहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि ये काम यहां के लोग हर साल करते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यहां पर हर साल नागपंचमी पर विषहरी माता की पूजा की जाती है। यहां के लोगों के लिए सांपों से खेलना आम बात है।

महीनों पहले से पकड़े जाते हैं सांप

दरअसल, विभूतिपुर थाना क्षेत्र के सिंघिया घाट में नागपंचमी पर हर साल सांपों का मेला लगता है। इसे देखकर आप हैरान रह जाएंगे। सांपों को देखकर जहां अच्छे-अच्छों के होश उड़ जाते हैं, वहीं इस मेले में भगत के साथ-साथ बच्चे और युवा से लेकर बूढ़े तक गले में सांप लपेट कर खेलते करते नजर आते हैं। इसके लिए महीनों पहले से ही सांपों के पकड़ने का सिलसिला शुरू होता है जो नागपंचमी के दिन तक चलता है। 

सांपों के साथ करतब करते हैं लोग

नागपंचमी के दिन भगत राम सिंह सहित अन्य लोग माता विषहरी का नाम लेकर विषैले सांपों को मुंह में पकड़कर घंटों विषहरी माता का नाम लेते हुए करतब करते हैं। सैकड़ों की संख्या में लोग हाथ में सांप लिए बूढ़ी गंडक नदी के सिंघियाघाट पुल घाट पहुंचते हैं। यहां नदी में प्रवेश करने के बाद माता का नाम लेते हुए दर्जनों सांप निकालते है। इस दौरान नदी के घाट पर मौजूद भक्त नागराज और विषधर माता के नाम के जयकारे लगाते हैं। पूजा के बाद सांपों को जंगल में छोड़ दिया जाता है।

सैकड़ों साल से चली आ रही है परम्परा

बता दें कि इस मेले को मिथिला का प्रसिद्ध मेला माना जाता है। यहां नाग देवता की पूजा की परम्परा सैकड़ों साल से चली आ रही है। मूलत: यहां गहवरों में बिषहरा की पूजा होती है। महिलाएं अपने वंश वृद्धि की कामना को लेकर नागदेवता की विशेष पूजा करती हैं। मन्नत पूरी होने पर नागपंचमी के दिन गहवर में झाप और प्रसाद चढ़ाती हैं। (इनपुट- संजीव नैपुरी)

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