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बिना डॉक्टर के नजदीक गए हो जाएगा आपका इलाज, पिता और बेटी ने बनाया मेडी रोबोट

पटना के योगेश कुमार और उनकी बेटी आकांक्षा ने एक ऐसा रोबोट बनाया है, जो मरीज के पास पहुंचे बिना मरीज का ब्लड प्रेशर, ऑक्सीजन लेवल, पल्स रेट, ECG आदि कई तरह की जांच करता है

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पटना: कोरोना संक्रमण की वजह से बिहार में डॉक्टरों की सबसे ज्यादा मौत हुई है। ऐसे में पटना के योगेश कुमार और उनकी इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग के फाइनल ईयर की स्टूडेंट बेटी आकांक्षा ने एक ऐसा रोबोट बनाया है, जो मरीज के पास पहुंचे बिना मरीज का ब्लड प्रेशर, ऑक्सीजन लेवल, पल्स रेट, ECG आदि कई तरह की जांच करता है और इसकी रिपोर्ट डॉक्टर के पास भेज देता है। आकांक्षा BIT इंजीनियरिंग की छात्रा है और योगेश की पहचान इन्वेंशन मैन के रूप में है। पटना के कई निजी अस्पतालों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत इस मेडी रोबोट का इस्तेमाल हो रहा है।

डॉक्टर, इस मेडी रोबोट को अपने मोबाइल से कनेक्ट करके संचालित कर सकते हैं। इसमें लगे टैब पर मरीज को डॉक्टर का लाइव वीडियो भी दिखता रहेगा। यानी दूर बैठे ही डॉक्टर मरीज का इलाज कर सकते हैं। रोबोट के इस मॉडल की जानकारी दोनों ने केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद से लेकर बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री और स्वास्थ्य विभाग को भी दी है। 

यह रोबोट किसी भी संक्रमित या लाचार व्यक्ति की बेसिक मेडिकल जांच प्रामाणिकता के साथ दूर से और रियल टाइम डाटा और डाटा बेस के साथ करता है। यह रोबोट इतने तरह की जांच करता है-

  1. रक्त में ग्लूकोज की मात्रा (Blood sugar)
  2. रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा (Oxygen level)
  3. हृदय गति (Pulse rate)
  4. तापमान (Temperature)
  5. ब्लड प्रेशर (Blood pressure)
  6. वजन (Weight)
  7. ईसीजी (ECG)

इसके साथ ही यह रोबोट वायरलेस स्टेथेस्कोप (Wireless stethoscope) से फेफड़ा (Lungs), हृदय (Heart) इत्यादि की जांच भी करता है।

रोबोट का बेसिक कार्य

  1. परिवहन (Transportation) - संक्रमित व्यक्ति को दवा, खाना, पानी, नेबुलाइजर और ऑक्सीजन इत्यादि पहुंचाना।
  2. निगरानी - हाइ रेज्युलेशन नाइट विजन कैमरा से 360 डिग्री घूमकर मरीज और हॉस्पिटल का सर्विलांस।
  3. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग - हाइ रेज्युलेशन कैमरा से डॉक्टर और मरीज के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा संवाद।
  4. सैनिटाइजेशन - कैमिकल और UV लाइट के द्वारा पब्लिक स्पॉट जैसे रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, कार्यालय और हॉस्पिटल का रिमोट से सैनिटाइजेशन।
  5. ई-प्रिस्किप्शन - QR कोड की मदद से ई-प्रिस्किप्शन की सुविधा।

भारत सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय के अंतर्गत अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् के छात्र विश्वकर्मा अवार्ड के फाइनल राउंड के लिए इस रोबोट का चयन किया गया है। भारत सरकार के कैबिनेट मंत्री रविशंकर प्रसाद ने रोबोट की सराहना की, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), पटना की डॉक्टर अपूर्वा और हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रशांत जैसे कई डॉक्टर बताते हैं कि इसका बेहतर इस्तेमाल किया जा सकता है।

पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इस्तेमाल 

पटना के सहयोग, स्पंदन और मेडी हार्ट जैसे कई हॉस्पिटल में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इसका इस्तेमाल किया गया है। आकांक्षा कहती हैं कि हम चाहते हैं कि सरकार चाहे तो रोबोट का ट्रायल ले ले और उसके बाद तय करे कि रोबोट का इस्तेमाल अस्पतालों के लिए कितना उपयोगी है।

वहीं आकांक्षा के पिता योगेश बताते हैं कि करोना काल में देश विदेश में बने रोबोट के बेसिक कार्य ट्रांसपोर्टेशन, सर्विलांस, कम्युनिकेशन और सेनेटाइजेशन का कार्य तो यह ‘मेडी रोबो’ करता ही है, इसके अलावा यह किसी भी मरीज, लाचार व्यक्ति का बेसिक मेडिकल एग्ज़ामिनेशन प्रामाणिकता के साथ दूर से और रियल टाइम डाटा के साथ करता है। 

बेसिक रोबोट का प्रोटोटाइप इन्होंने पहले लॉकडाउन में ही बना लिया था। पर इस ‘मेडी रोबो’ को तकनीकी रूप से इतना समृद्ध और उपयोगी बनाने में समय लगा। इसके वर्तमान स्वरूप और कार्य को देख, आपको यह विश्वास ही नहीं होगा कि एक घर में माइक्रो कंट्रोलर तथा र्कोंडग की सहायता से यह अत्याधुनिक मल्टी परपस रोबोट बना है। इस रोबोट को बनाने में 3 महीने और करीब एक लाख का खर्च आया है।