बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधानसभा में कहा कि केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी नीत सरकार में मंत्री रहने के दौरान उनकी पहल से खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी दी जाने लगी। राज्य सरकार में मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव के जवाब से बीजेपी विधायक नीतीश मिश्रा के संतुष्ट नहीं होने पर मुख्यमंत्री नीतीश ने हस्तक्षेप करते हुए यह टिप्पणी की।
खेल कोटे से भर्ती के सवाल पर जेडीयू नेता
नीतीश मिश्रा ने जानना चाहा था कि क्या यह सच है कि पिछले 7 साल में राज्य में खेल कोटे से कोई भर्ती नहीं हुई है? मंत्री ने सदन को बताया कि खेल कोटा के जरिए सरकारी नौकरी देने की सुविधा के लिए नियम बनाए जाने के एक साल बाद 2015 में 78 खिलाड़ियों की नियुक्ति के लिए सिफारिशें की गईं।
मंत्री ने यह भी कहा कि पटना हाई कोर्ट द्वारा 2021 में एक स्थगन आदेश के बाद ऐसी नियुक्तियों को कुछ समय के लिए रोक दिया गया था। उनके मुताबिक, हालांकि अदालत ने एक साल बाद अपना स्थगन आदेश वापस ले लिया था, जिसके बाद प्रक्रिया फिर से शुरू हो गई है और 27 खिलाड़ियों को काउंसलिंग के लिए चुना गया है।
खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी कब से मिलने लगी?
बीजेपी विधायक हालांकि यह जानना चाहते थे कि क्या 2015 में की गई सिफारिशों के तहत नियुक्ति पत्र जारी किए गए थे। इस पर सीएम नीतीश कुमार अपनी सीट से उठे और कहा, "क्या आप लोगों को पता है कि खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी कब से मिलने लगी।" उन्होंने कहा, "अटल जी की सरकार के दौरान जब मैं एक मंत्री था और मेरे कहने पर खिलाड़ियों को उस विभाग में नौकरी मिलनी शुरू हुई, जिसे मैं संभालता था।"
वाजपेयी सरकार में नीतीश कुमार ने भूतल परिवहन, रेलवे और कृषि विभागों का जिम्मा संभाला था। नीतीश ने कहा, "हमने यहां खिलाड़ियों को भी नौकरी देने का फैसला किया है और ऐसा किया जा रहा है।"
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