बिहार में पिछले कई सालों से शराब बंद है। यहां शराब का उत्पादन करना, बेचना और पीना अवैध है। इसके बावजदू भी आप थोड़ा सा ज्यादा पैसा खर्च करिए आपको आपके घर पर शराब पहुंचा दी जाएगी। राज्य में जहरीली और नकली शराब का धंधा खूब फल-फुल रहा है। छपराकांड ने शराबबंदी की पोल खोलकर रख दी है। अब शराबकांड में मारे गए लोगों की जांच के लिए राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) की टीम बिहार पहुंच गई है। सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने बताया, ''उन्होंने मृतकों के आंकड़े पूछे, कितने लोग अस्पताल में भर्ती हुए और कितने लोग यहां से रेफर हुए हैं।''
बिहार की राजनीति में बवाल
वहीं NHRC की टीम को लेकर बिहार की राजनीति में बवाल भी मच गया है। नीतीश सरकार को ये जांच पसंद नहीं आ रही है। सत्ता पक्ष का कहना है कि बीजेपी शासित राज्यों में जो घटनाएं घटी हैं उसके लिए NHRC की टीम जांच क्यों नहीं कर रही है? इसपर बीजेपी ने भी सवाल पूछा है कि बिहार सरकार NHRC से डर क्यों रही है? बता दें, मंगलवार को लोकसभा में जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने एनएचआरसी की टीम को बिहार भेजने पर विरोध किया था। वहीं जदयू संसदीय बोर्ड चेयरमैन उपेंद्र कुशवाहा ने कहा था कि बीजेपी शासित राज्यों में जो घटनाएं घट रही हैं, वहां यह टीम जांच करने क्यों नहीं जा रही है?
बीजेपी ने दिया ये जवाब
इसके जवाब में बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग एक स्वायत संस्था है और यह केंद्र सरकार के निर्देश पर काम नहीं करती। आयोग ने भाजपा शासित राज्यों की घटनाओं पर भी संज्ञान लेकर जांच के लिए टीम भेजी है। उन्होंने कहा कि आयोग ने गुजरात के मोरबी में दुर्घटना के बाद वहां राज्य सरकार को भी नोटिस भेजा था। सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बिहार में जब भाजपा की सरकार थी, तब आधे दर्जन से ज्यादा जहरीली शराब से जुड़े मामलों का संज्ञान मानवाधिकार ने लिया था।