पटना: बिहार में दूसरे राज्यों से श्रमिक स्पेशल ट्रेन से आ रहे प्रवासियों को स्टेशन से बस के जरिए उनके गृह जिले में बने ब्लॉक क्वारंटाइन सेंटर में ले जाया जाता है, जहां उन्हें 14 दिन रहना होता है लेकिन कुछ जगहों पर यह देखने को मिल रहा है कि प्रवासी मजदूर स्टेशन से कुछ पहले ही ट्रेन को वैक्यूम करके उतर जाते हैं। ऐसा एक वीडियो खगड़िया से सामने आया है, जहां कटिहार जा रही श्रमिक स्पेशल जब खगड़िया स्टेशन से कुछ दूर आगे बढ़ी तो ट्रेन को वैक्यूम कर उसमें बैठे सैंकड़ों प्रवासी मजदूर उतर गए।
मजदूरों को इस तरह उतरता देख स्थानीय लोगों ने शोर मचाना शुरू कर दिया। स्थानीय लोगों की सजगता के कारण ट्रेन से उतरे कुछ मजदूर फिर चलती ट्रेन में चढ़ गए जबकि बाकि मजदूरों को वापस फिर खगड़िया स्टेशन ले आया गया और बाद में बाजार समिति में बने क्वारंटाइन कैंप में पहुंचा दिया गया। वीडियो तीन दिन पहले का बताया जा रहा है, जिसे किसी स्थानीय व्यक्ति ने शूट कर लिया था। लेकिन, इस तरह से कुछ दूसरे जिलों में भी मजदूरों के ट्रेन से उतरने की खबर मिली हैं।
ऐसे सभी प्रवासी जब सीधे अपने घर चले जाते हैं तो संक्रमण फैलने का खतरा इनके घर के साथ साथ गांव के लोगों को भी होता। इसके अलावा इस तरह ट्रैक पर उतरना और फिर ट्रैक के जरिए ही आगे चलना काफी खतरनाक भी हो सकता है, हादसे भी हो सकते हैं।
बिहार में काफी संख्या में ट्रेनों के चलने के बाद भी अब भी सड़कों पर पैदल और ट्रक के जरिये कुछ प्रवासी मजदूर आ रहे हैं, जो चुपके से सीधे अपने घर चले जाते हैं। ऐसे में बिहार में संक्रमण का खतरा और भी बढ़ जाता है। 3 मई से जबसे ट्रेनें आनी शुरू हुई हैं, बिहार में संक्रमण की रफ्तार काफी बढ़ गयी है। अभी तक 788 प्रवासी मजदूर पॉजिटिव मिल चुके हैं, जिनमें दिल्ली से 249, महाराष्ट्र से 187, गुजरात से 158 प्रवासी हैं।
बिहार में 500 ट्रेनें अब तक आ चुकी हैं, जिससे 7 लाख 25 हजार लोग आ चुके हैं। आज भी 77 ट्रेन से 123200 लोग आ रहे हैं। बिहार के अलग-अलग प्रखंड में बने ब्लॉक क्वारंटाइन सेंटर में लगभग 7 लाख लोग रह रहे हैं। कुछ जगहों पर सेंटर में अच्छी व्यवस्था नहीं होने की वजह से चोरी छिपे भाग भी रहे हैं। ऐसे लोगों से भी संक्रमण बढ़ने का खतरा है।