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Hindi News बिहार बिहार में रैली के दौरान तेजस्वी यादव को अचानक हुआ पीठ में दर्द, कंधे पर लादकर ले गए सुरक्षाकर्मी, देखें- वीडियो

बिहार में रैली के दौरान तेजस्वी यादव को अचानक हुआ पीठ में दर्द, कंधे पर लादकर ले गए सुरक्षाकर्मी, देखें- वीडियो

अररिया में रैली को संबोधित करते हुए तेजस्वी यादव के पीठ में अचानक दर्द होने लगा। सुरक्षाकर्मी उन्हें हाथ से सहारा देकर मंच से कार तक ले गए।

तेजस्वी यादव को अचानक हुआ पीठ में दर्द - India TV Hindi Image Source : ANI तेजस्वी यादव को अचानक हुआ पीठ में दर्द

अररियाः बिहार में तीसरे चरण के लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान जोरों पर है। सभी दलों के नेता अपनी-अपनी पार्टियों के उम्मीदवारों के पक्ष में रैलियां कर रहे हैं। इसी क्रम में बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव अररिया में एक जनसभा करने पहुंचे थे। इस बीच तेजस्वी यादव को अचानक पीठ में दर्द होने लगा और चलने में परेशानी होने लगी। सुरक्षाकर्मियों ने तेजस्वी को सहारा देकर मंच से कार तक ले गए। जब यह घटना घटी तब वह अररिया में एक सार्वजनिक रैली को संबोधित कर रहे थे।

पैर में मोच आने की सूचना

मिली जानकारी के अनुसार, अररिया के सिमरा थाना क्षेत्र में भाषण समाप्त होने के बाद तेजस्वी बगल में बने शौचालय में पेशाब करने गए। इसी दौरान उनके पैर में मोच आ गया। पीठ में दर्द का अनुभव हुआ तो चलने में लड़खड़ाते हुए देखे गए। इसके बाद आरजेडी नेता और पुलिसकर्मी ने उन्हें सहारा दिया और मंच से कार तक ले गए। इसके बाद हेलीकॉप्टर तक ले गए।

बीजेपी पर साधा निशाना

अररिया के फारबिसगंज में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए तेजस्वी यादव ने बीजेपी और जेडीयू पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने रहा कि कमाई, दवाई, पढ़ाई, सिंचाई, सुनवाई और कारवाई जैसे मुद्दों पर जनता चुनाव लड़ रही है। लेकिन बीजेपी और सरकार में बैठे लोग इन मुद्दे से दूर भाग रहे हैं। बीजेपी के लोग जनता के मुद्दे पर बोल ही नहीं रहे हैं। 

बीजेपी पर लगाया धर्म के नाम पर वोट मांगने का आरोप

उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री हिंदू, राष्ट्रपति हिंदू, सभी राज्यों के मुख्यमंत्री हिंदू, तीनों सेनाध्यक्ष हिंदू है फिर भी ये लोग कह रहे है कि धर्म खतरे में है। दरअसल धर्म को ख़तरे में बताने वाले यह नहीं बताना चाहते कि रिकॉर्डतोड़ बेरोजगारी से देश के 60 फीसदी युवाओं का वर्तमान एवं भविष्य खतरे में है। किसान और कृषि खतरे में है। उद्योग-धंधे खतरे में है। बहन बेटियां और महिलाएं खतरे में है। शिक्षा-चिकित्सा खतरे में है। महंगाई-गरीबी से बहुसंख्यक आबादी खतरे में है। जनता के जिंदा मुद्दों पर तो प्रधानमंत्री बात ही नहीं करना चाहते।