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Hindi News बिहार बिहार में जूते-चप्पल की माला पहनकर गधे पर सवार होकर नामांकन करने पहुंचा उम्मीदवार, देखें- वीडियो

बिहार में जूते-चप्पल की माला पहनकर गधे पर सवार होकर नामांकन करने पहुंचा उम्मीदवार, देखें- वीडियो

बिहार में निर्दलीय प्रत्याशी को समर्थकों ने जूते-चप्पल की माला पहनाकर गधे पर बैठाया और नामांकन कराने के लिए बेतिया समाहरणालय पर पहुंचे। पर्चा दाखिल करने के बाद उम्मीदवार ने कहा कि वह लोगों का ध्यान आकर्षित करना चाहता है।

निर्दलीय प्रत्याशी को समर्थकों ने जूते की माला पहना गधे पर बैठाया- India TV Hindi Image Source : INDIA TV निर्दलीय प्रत्याशी को समर्थकों ने जूते की माला पहना गधे पर बैठाया

बेतियाः बिहार में चौथे और पांचवे चरण के चुनाव के लिए प्रचार अभियान जोरों पर है। उम्मीदवार अपना नामांकन भी जमा कर रहे हैं। कोई गाजे-बाजे के साथ नामांकन करने पहुंच रहा है तो कई बैलगाड़ी से पर्चा दाखिल करने पहुंच रहा है। निर्दलीय उम्मीदवार अनोखे अंदाज में नामांकन फाइल कर लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। ताजा मामला बेतिया का है। वाल्मीकी नगर लोकसभा सीट के लिए एक निर्दलीय प्रत्याशी जूते-चप्पल की माला पहन कर गधे पर सवार होकर सैकड़ो समर्थकों के साथ नामांकन दाखिल करने पहुंचा। 

जूते-चप्पल की माला पहनने की वजह बताई

 बेतिया समाहरणालय पर नामांकन करने पहुंचे निर्दलीय प्रत्याशी को देखकर हर कोई हैरान रह गया। दरअसल, निर्दलीय उम्मीदवार सैयद हवारी को उनके समर्थकों ने जूते-चप्पल की माला पहना रखा था। साथ में वह गधे पर भी सवार होकर नामांकन करने पहुंचे थे। नामांकन दाखिल करने के बाद सैयद हवारी ने बताया कि मैं जूते-चप्पल की माला इसलिए पहन कर आया हूं। क्योंकि मैं एक गरीब मजदूर का बेटा हूं और जनता के चप्पल के नीचे हमेशा रहना चाहता हूं। 

गधे पर सवार होने की भी वजह बताई

सैयद ने बताया कि मैं कोई बड़ा नेता नहीं हूं, लोग मुझे जानते भी नहीं हैं। इसलिए गधे पर सवार होकर चप्पल का माला पहन कर मैं अपना नामांकन दाखिल करने पहुंचा हूं। ताकि लोगों को मैं रिझा सकूं। लोग मेरे प्रति आकर्षित हो सकें। क्योंकि मुझे लोग नहीं जानते हैं। उन्होंने बताया कि इससे पहले मैं 2021 में पंचायत चुनाव भी लड़ चुका हूं।

चाचा के खिलाफ लड़ा था चुनाव

सैयद हवारी ने श्चिम चंपारण जिले के सिकटा प्रखंड के सिकटा पंचायत के वार्ड 11 से वार्ड सदस्य के चुनाव अपने चाचा सिकंदर अहमद के खिलाफ लड़ा था। जिसमें दोनों की बुरी तरह से हार हुई थी। अब एक बार फिर से लोकसभा चुनाव में अपनी चुनावी किस्मत अजमा रहे हैं।

(बेतिया से आलोक कुमार चौबे की रिपोर्ट)