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Hindi News बिहार Lok Sabha Elections 2024: बिहार में विरासत संभालने उतरी नई पीढ़ी, मिलिए चुनावी मैदान के मोर्चे पर डटे दिग्गजों के बेटे-बेटियों से

Lok Sabha Elections 2024: बिहार में विरासत संभालने उतरी नई पीढ़ी, मिलिए चुनावी मैदान के मोर्चे पर डटे दिग्गजों के बेटे-बेटियों से

बिहार में कई ऐसे राजनैतिक परिवार हैं, जिनकी अगली पीढ़ियां अब चुनावी मैदान में हैं। लोकसभा चुनाव में राजनैतिक परिवारों की बेटियां भी चुनावी रण में ताल ठोंक रही हैं। आइए ऐसे ही कुछ परिवारों की बेटियों के बारे में आज आपको बताते हैं।

lalu daughters shambhavi choudhary- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO लालू यादव की बेटियां और शांभवी चौधरी

लोकसभा चुनाव में बढ़त बनाने को लेकर बिहार में सभी दलों ने अपनी ताकत झोंक दी है। अधिकांश दल अपनी बढ़त बनाने को लेकर जहां प्रत्याशियों के चयन भी काफी सावधानियां बरती हैं, वहीं कई दलों ने वैसे प्रत्याशियों को भी चुनाव मैदान में उतारा है, जो अपनी सियासी विरासत को आगे बढ़ाने में जुटे हैं। ये प्रत्याशी एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए हैं।

राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद की राजनीतिक विरासत को संभालने के लिए पहले से ही उनके बेटे तेज प्रताप और तेजस्वी यादव बिहार की राजनीति में सक्रिय हैं, अब लोकसभा चुनाव में उनकी दो बेटियां भी चुनावी रण में ताल ठोंक रही हैं। पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र से लालू प्रसाद की बेटी मीसा भारती एक बार फिर भाजपा के रामकृपाल यादव से मुकाबले में हैं। पिछले चुनाव में रामकृपाल ने मीसा भारती को हरा दिया था।

रोहिणी आचार्य

Image Source : file photoपिता लालू के साथ रोहिणी आचार्य

लालू प्रसाद की दूसरी बेटी रोहिणी आचार्य ने भी इस चुनाव से अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत कर दी है। इस चुनाव में सारण सीट पर उनका मुकाबला भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी से है। सारण से लालू 2004 और 2009 में सांसद रहे। रोहिणी की मां राबड़ी देवी यहां से 2014 में चुनाव हार गई थीं। रोहिणी पहली बार चुनाव लड़ रही हैं।

शांभवी चौधरी

Image Source : file photoशांभवी चौधरी

पूर्व सांसद सी.पी. ठाकुर के बेटे विवेक ठाकुर भी इस बार भूमिहार बहुल नवादा से चुनावी मैदान में भाग्य आजमा रहे हैं। इधर, जदयू के नेता और बिहार के मंत्री अशोक चौधरी की राजनीतिक विरासत को संभालने के लिए उनकी बेटी शांभवी चौधरी समस्तीपुर से मोर्चे पर डटी हुई हैं। शांभवी चौधरी के दादा भी बिहार के राजनीतिज्ञ रहे हैं।

शांभवी चौधरी पूर्व आईपीएस अधिकारी आचार्य किशोर कुणाल की बहू हैं। शांभवी को समस्तीपुर सीट से जैसे ही टिकट मिला, वह भावुक हो गईं और अपने पिता मंत्री अशोक चौधरी के गले लग गईं। शांभवी समाज सेवा के कार्य से जुड़ी रही हैं।   

सन्नी हजारी

पिछले दिनों जदयू नेता महेश्‍वर हजारी के बेटे सन्नी हजारी ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की है। बताया जाता है कि सन्नी समस्तीपुर से चुनाव लड़ सकते हैं। वैसे, बिहार में यह पहली मर्तबा नहीं है कि पिता की राजनीतिक विरासत संभालने के लिए उनके पुत्र और पुत्रियां चुनावी मैदान में उतरे हैं। कई वर्तमान सांसद भी अपने पिता के सियासी विरासत को ही आगे बढ़ा रहे हैं। इस चुनाव में तो कई पार्टियों ने अब तक अपने कोटे के सभी सीटों के लिए प्रत्याशियों की घोषणा भी नहीं की है।

चिराग पासवान

इधर, लोजपा (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान भी इस बार अपने पिता दिवंगत रामविलास पासवान की कर्मभूमि हाजीपुर को अपना कर्मक्षेत्र बनाने के लिए हाजीपुर से चुनाव मैदान में भाग्य आजमा रहे हैं। पासवान फिलहाल जमुई से सांसद हैं। हाजीपुर से रामविलास पासवान नौ बार सांसद थे।

शिवेश राम

इस बीच, पूर्व केंद्रीय मंत्री और सासाराम के सांसद रहे दिवंगत मुनिलाल की सियासी विरासत को संभालने के लिए भाजपा ने उनके बेटे शिवेश राम को सासाराम से चुनावी मैदान में उतार दिया है। फिलहाल यहां से छेदी पासवान सांसद हैं, जिनका पार्टी ने इस बार टिकट काट दिया।

बिहार में लोकसभा चुनाव के सभी सात चरणों में मतदान होना है। ऐसे में भले ही पिता की विरासत संभालने को लेकर पुत्र, पुत्रियां चुनावी मैदान में ताल ठोंक रहे हों, लेकिन मतदाता किसे विरासत आगे बढ़ाने की अनुमति देते हैं, इसका पता तो चार जून को चुनाव परिणाम आने पर ही चलेगा।