Lalu Prasad Yadav: लालू यादव को फिर से आरजेडी का अध्यक्ष बनाना उनकी ‘चमकदार‘ छवि को भुनाने की कोशिश, जानिए क्या हैं समीकरण?
Lalu Prasad Yadav: लालू ने आरएसएस पर बैन लगाने की बात कही। साथ ही नीतीश के साथ मिलकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करके जता दिया कि वे आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे।
Lalu Prasad Yadav: बिहार में सत्तारुढ़ राष्ट्रीय जनता दल यानी आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में एक बार फिर दिग्गज नेता लालू प्रसाद यादव को चुन लिया गया है। लालू यादव बिहार ही नहीं, देश की राजनीति पर अपना असर डालने वाले नेता रहे हैं। जब ये माना जा रहा था कि अब उम्रदराज होते लालू यादव लंबे समय से सक्रिय राजनीति से दूर हैं। स्वास्थ भी खराब रहा है, और पिछले कुछ समय पहले वे एम्स में इलाज करा रहे थे। तब किसी ने नहीं सोचा था कि वे फिर पार्टी के झंडाबरदार बनेंगे और आते से ही अपनी इमेज के मुताबिक बयान देने लगेंगे। हाल ही में लालू ने आरएसएस पर बैन लगाने की बात कही। साथ ही नीतीश के साथ मिलकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करके जता दिया कि वे आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे। यही कारण है कि आरजेडी में फिर उन्हें सर्वेसर्वा बनाकर उनकी छवि को भुनाने की कोशिश की गई है।
1997 से ही आरजेडी की कमान लालू के हाथ में
बिहार में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनता दल ‘राजद‘ के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में 12वीं बार लालू प्रसाद यादव को निर्विरोध चुन लिया गया है। हालांकि 10 अक्टूबर को दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय परिषद की बैठक में उनके इस पद पर निर्वाचित होने की विधिवत घोषणा की जाएगी। वर्ष 1997 को राजद की स्थापना के समय से ही पार्टी को कमान लालू के हाथ में है। इस बार लालू प्रसाद के स्वास्थ्य को देखते हुए संभावना व्यक्त की जा रही थी कि तेजस्वी यादव को कमान सौंपी जा सकती है, लेकिन अंतिम समय में पार्टी ने कमान लालू को हो सौंप दी।
लालू प्रसाद यादव की छवि को खोना नहीं चाहती पार्टी
अब अस्वस्थ लालू को पार्टी की कमान सौंपने को लेकर मायने निकाले जाने लगे हैं। बिहार में एक बार फिर से सत्ता में लौटी राजद अभी लालू प्रसाद की छवि को खोना नहीं चाहती है। कहा जा रहा है कि भाजपा के खिलाफ देश भर के विपक्षी दलों को एकजुट करने के अभियान में लालू प्रसाद की बड़ी भूमिका है्र। ऐसे में लालू के लिए जरूरी है कि किसी पार्टी की कमान उनके हाथ हो।
निर्णय तेजस्वी के, नाम लालू का ही चलेगा, ऐसी ही है पार्टी की रणनीति!
इसमें कोई शक नहीं कि एक प्रकार से राजद की पूरी कमान तेजस्वी यादव के हाथ में है। राजद के सारे बड़े निर्णय अब वही लेते हैंए लेकिन प्रत्यक्ष तौर पर लालू का नाम चलाते रहने की तैयारी है। इस संबंध में राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी कहते हैं कि लालू प्रसाद राष्ट्रीय स्तर के नेता है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी के नेतृत्व करने की क्षमता अद्वितीय है। राजद के लिए यह सौभाग्य की बात है कि राजद के पास लालू प्रसाद जैसा नेता है।
तेजस्वी को मिलेगी लालू प्रसाद के रूप में ‘ढाल‘
वैसे, सूत्रों का कहना है कि तेजस्वी पार्टी के सारे निर्णय ले जरूर रहे हैं लेकिन पार्टी की सोच है कि तेजस्वी के किसी गलत फैसले पर लालू की छवि से उसे पाटा जा सकता है। ऐसे में लालू प्रसाद को फिर से पार्टी के नेतृत्व सौंपे जाने की रणनीति बनाई गई। वैसे, लालू इन दिनों राजनीति में सक्रिय भी नजर आ रहे है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा विपक्ष को एकजुट करने की मुहिम में भी लालू प्रसाद की उपस्थिति महत्वपूर्ण मानी जा रही है।