पटना: राजस्थान के कोटा में फंसे बिहार के छात्रों को वापस बुलाने की मांग पर आज पटना यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स ने प्रदर्शन किया। ये छात्र लॉकडाउन तोड़कर बाहर निकले और पटना यूनिवर्सिटी के गेट पर बैठ गए। इनकी मांग थी कि बिहार सरकार कोटा में फंसे छात्रों को वापस बुलाए जिसके बाद पुलिस ने छात्रों के प्रदर्शन पर एक्शन लिया और कई छात्रों को हिरासत में लिया। बता दें कि कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण कोटा में मेडिकल (नीट) और इंजीनियरिंग प्रवेश (जेईई) परीक्षा की कोचिंग ले रहे बिहार के हजारों छात्र फंस गए हैं। ये छात्र अब घर वापसी के लिए भूख हड़ताल शुरू कर दिया है।
भूख हड़ताल पर बैठे छात्रों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अपने घर जाने के लिए बसें भेजने की अपील की है। ये छात्र अपने हॉस्टल्स में हाथों में तख्तियां लेकर बिहार सरकार से घर बुलाने और परिवार के साथ रहने के लिए निवेदन कर रहे हैं। गांधी जी के सिद्धान्तों को दर्शाते हुए छात्र बुरा न देखो, बुरा न सुनो, बुरा न बोलो का संदेश भी दे रहे हैं क्योंकि देश में उनकी आवाज नहीं सुनी जा रही है।
हालांकि, बिहार सरकार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि कोटा से छात्रों को लाना फिलहाल संभव नहीं है। कुछ दिन पहले इन छात्र-छात्राओं को ध्यान में रखते हुए नीतीश कुमार ने अपील की कि वह लॉकडाउन का पालन करें और जो लोग जहां हैं वहीं पर ठहरे रहें।
उन्होंने कहा, "कोटा में पढ़ने वाले छात्र संपन्न परिवार से आते हैं। अधिकतर अभिभावक अपने बच्चों के साथ रहते हैं, फिर उन्हें क्या दिक्कत है। जो गरीब अपने परिवार से दूर बिहार के बाहर हैं फिर तो उन्हें भी बुलाना चाहिए। लॉकडाउन के बीच में किसी को बुलाना नाइंसाफी है। इसी तरह मार्च के अंत में भी मजदूरों को दिल्ली से रवाना कर लॉकडाउन को तोड़ा गया था।"
गौरतलब है कि लॉकडाउन की घोषणा के बाद से ही कोटा में लगभग 40 हजार कोचिंग विद्यार्थी फंस गए थे। एक सरकारी बयान के अनुसार अभी भी बिहार के करीब 11 हजार, झारखण्ड के 3 हजार, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ के 2500-2500 बच्चे, महाराष्ट्र के 1800 एवं ओडिशा के करीब एक हजार बच्चे कोटा में मौजूद हैं।
जम्मू-कश्मीर से बच्चों की सकुशल वापसी के लिए वार्ता की जा रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपील की है कि जिन राज्यों के बच्चे अभी कोटा में हैं, वे भी मानवीय आधार पर उन्हें अपने-अपने परिवार के पास ले जाने के लिए राज्य सरकार का सहयोग करें।