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Hindi News बिहार जेडीयू में बगावत ! उपेंद्र कुशवाहा के पक्ष में खुलकर आए एमएलसी रामेश्वर महतो, कहा-खिलाफ पहले से हो रही थी साजिश

जेडीयू में बगावत ! उपेंद्र कुशवाहा के पक्ष में खुलकर आए एमएलसी रामेश्वर महतो, कहा-खिलाफ पहले से हो रही थी साजिश

जनता दल यूनाइटेड में बगावत के सुर तेज हो रहे हैं। उपेंद्र कुशवाहा के बागी तेवरों के बीच अब जनता दल यूनाइटेड के एमएलसी रामेश्वर महतो ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ पहले से साजिश हो रही है।

उपेंद्र कुशवाहा- India TV Hindi Image Source : फाइल उपेंद्र कुशवाहा

पटना : नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड में बगावत के स्वर बढ़ते जा रहे हैं। उपेंद्र कुशवाहा की तरफ से जहां बागी तेवर जारी हैं वहीं अब पार्टी के एमएलसी रामेश्वर महतो खुलकर उपेंद्र कुशवाहा के पक्ष में आ गए हैं। उन्होंने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा और कुछ सांसद काफ़ी पहले से साजिश कर रहे थे।

रामेश्वर महतो ने आरोप लगाया कि उपेंद्र कुशवाहा को मंत्री नहीं बनने देने के लिए पटना के होटल मौर्या में मीटिंग हुई थी। इस मीटिंग में मुझे भी बुलाया गया था लेकिन मैंने मना कर दिया था। रामेश्वर महतो ने आरोप लगाया कि उपेंद्र कुशवाहा के पार्टी छोड़ने से जेडीयू को काफी नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि कुशवाहा समाज के सबसे बड़े नेता उपेंद्र कुशवाहा हैं। मैं मुख्यमंत्री से कहना चाहूंगा कि वे रास्ता निकालें।

दरअसल, नीतीश कुमार के साथ रिश्तों में आई तल्खियों के बीच उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी बगावत की तुलना उस चुनौती से की जो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तीन दशक पहले राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद को दी थी। जद(यू) संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष कुशवाहा ने कहा कि कुमार के लिए उनके मन में ‘अगाध श्रद्धा’ है, लेकिन जोर दिया कि वह (नीतीश) अपने निर्णय नहीं ले पा रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप जद (यू) कमजोर हो गया है। 

पूर्व केंद्रीय मंत्री कुशवाहा ने कहा था, ‘‘मुझे यह स्पष्ट करने के लिए कहा गया कि पार्टी में अपने हिस्से का दावा करने से मेरा क्या मतलब है। मैं आज वह कर रहा हूं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं उसी हिस्से की बात कर रहा हूं जो नीतीश कुमार ने 1994 की प्रसिद्ध रैली में मांगा था जब लालू प्रसाद हमारे नेता को उनका हक देने से हिचक रहे थे।’’ कुशवाहा पटना में आयोजित ‘लव कुश’ रैली का जिक्र कर रहे थे जिसका मकसद बिहार में यादव जाति के राजनीतिक वर्चस्व में पीछे छूटे कुर्मी-कोइरी जाति के लोगों को एकजुट करना था। रैली में कुमार की उपस्थिति ने अविभाजित जनता दल से उनके अलग होने और एक स्वतंत्र राजनीतिक यात्रा की रूपरेखा तय की थी। 

उपेंद्र कुशवाहा मार्च, 2017 में अपनी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का विलय करने के बाद जद (यू) में लौटे थे। कुशवाहा ने कहा कि संसदीय बोर्ड के प्रमुख के रूप में उनके पास कोई शक्तियां नहीं हैं। उन्होंने कहा कि यह पद एक तरह का ‘झुनझुना’ है। कुशवाहा ने कहा, ‘‘मैं अतीत में राज्यसभा छोड़ चुका हूं और केंद्रीय मंत्रिपरिषद से भी हट गया था ेअगर उन्हें लगता है कि ये मेरे लिए बड़े विशेषाधिकार हैं तो पार्टी मेरे सभी पद वापस ले सकती है और विधान परिषद सदस्य का दर्जा भी छीन सकती है।’’ कुशवाहा ने दावा किया कि 2013 के विपरीत जब जद (यू) ने पहली बार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से नाता तोड़ा था, ‘‘बिखराव का खतरा अब हमारी पार्टी पर मंडरा रहा है।’’

इनपुट-एजेंसी

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