बिहार में शराबबंदी को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं। विपक्ष के नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उनके इस फैसले के लिए घेरते नजर आ जाते हैं। हालांकि, अब उनकी ही पार्टी जेडीयू के एक विधायक ने नीतीश कुमार की शराबबंदी नीति पर सवाल खड़े किए हैं। परबत्ता से जेडीयू के विधायक डॉ. संजीव कुमार ने कहा कि शराबबंदी नीति विफल रहा है, इसकी समीक्षा होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि शराबबंदी के दौरान इसे क्रिमिनल कानून में डाला गया था, जिसको अब सिविल में करने की मांग हो रही है। उन्होंने बिहार में शराबबंदी को गलत तरीके से लागू करने के लिए अपनी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा, "बिहार में शराबबंदी नीति पूरी तरह से सफल नहीं है। निचले स्तर पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। दलित और अति पिछड़ा वर्ग के लोग कानून का शिकार बन रहे हैं। फिर से इस कानून की समीक्षा करने की जरुरत है।
'शराबबंदी के पक्ष में हूं, लेकिन...'
जेडीयू विधायक ने कहा, "दलितों पर पुलिस अत्याचार बंद होना चाहिए। मैं शराबबंदी के पक्ष में हूं, लेकिन जिस तरह से इसे लागू किया जा रहा है, उसके पक्ष में नहीं।" उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री जो भी करें, हम उनके साथ हैं, लेकिन दलितों पर पुलिस का अत्याचार बंद होना चाहिए। यह क्रिमिनल क्राइम के तहत आता है और इसका इस्तेमाल पुलिस की ओर से लोगों को ब्लैकमेल करने के लिए किया जा रहा है। अगर यह एक सिविल क्राइम होता, तो बेहतर होता। यह मेरी निजी राय है।"
उन्होंने कहा, "शराबबंदी नीति विफल रही है, लेकिन इस पर से प्रतिबंध नहीं हटाया जाना चाहिए। मैं चाहता हूं कि शराबबंदी जारी रहे, लेकिन इसे दीवानी अपराध माना जाए, ताकि फौजदारी अपराध के नाम पर पुलिसिया अत्याचार बंद हो।