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Hindi News बिहार "हमारे धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप किया गया तो...", मौलाना मदनी ने सरकारों को दी चेतावनी, वक्फ संपत्तियों को लेकर भी बोले

"हमारे धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप किया गया तो...", मौलाना मदनी ने सरकारों को दी चेतावनी, वक्फ संपत्तियों को लेकर भी बोले

मौलाना महमूद असद मदनी ने कहा कि परीक्षा मोमिन के लिए आवश्यक कार्य है और इस परीक्षा में धैर्य एवं मजबूती से डटे रहना मोमिन की कामियाबी की निशानी है। इसके साथ ही उन्होंने सामाजिक बुराईयों जैसे दहेज प्रथा को छोड़ने की भी सलाह दी।

जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी- India TV Hindi जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी

बिहार: जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने किशनगंज के लहरा चौक पर हजारों की भीड़ को संबोधित करते हुए सरकारों को चेतावनी दी कि वे सांप्रदायिक तत्वों और उनके एजेंडे को संरक्षण देना बंद करें। उन्होंने कहा कि सड़कें बनाई जाएं और देश के विकास की पहल की जाए, लेकिन अगर इंसानों के बीच जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव जारी रहा, तो यह देश के साथ सबसे बड़ा विश्वासघात होगा। 

मौलाना मदनी ने सभा में सरकारों के प्रति कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि विशेष वर्गों का वर्चस्व स्थापित करने और अन्य वर्गों को अपमानित करने के प्रयास किए जा रहे हैं, खासकर मुसलमानों के खिलाफ। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारें इन प्रयासों को न सिर्फ संक्षरण दे रही हैं, बल्कि उसे बढ़ावा भी दे रही हैं। मौलाना मदनी ने कहा, "किसी भी सभ्य समाज के लिए न्याय और निष्पक्षता सबसे महत्वपूर्ण है, बिना इसके देश में कानून व्यवस्था और अपराधमुक्त समाज का निर्माण संभव नहीं है।"

मुसलमानों से धैर्य रखने की अपील

वक्फ अधिनियम पर खास तौर पर चिंता जाहिर करते हुए मौलाना मदनी ने कहा कि यह वक्फ एक धार्मिक मामला है और मुसलमान अपनी संपत्तियां अल्लाह की खुशी के लिए वक्फ करते हैं। उन्होंने सरकार से मांग की कि वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन एसजीपीसी की तरह किया जाए और वक्फ पर सरकारी नियंत्रण बढ़ाने के प्रयासों का विरोध किया। मौलाना मदनी ने मुसलमानों से अपील की कि वे धैर्य और रणनीति के साथ समाजिक सुधार में अपनी भूमिका निभाएं और आंतरिक सुधारों पर ध्यान केंद्रित करें। उन्होंने कहा कि हमेशा अंधेरा नहीं रहता, एक दिन सवेरा भी होगा।

दहेज प्रथा को छोड़ने की सलाह

मौलाना मदनी ने कहा कि परीक्षा मोमिन के लिए आवश्यक कार्य है और इस परीक्षा में धैर्य एवं मजबूती से डटे रहना मोमिन की कामियाबी की निशानी है। इसके साथ ही उन्होंने सामाजिक बुराईयों जैसे दहेज प्रथा को छोड़ने की भी सलाह दी और कहा कि मुस्लिम समुदाय को हमेशा सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। इस दौरान अपने भाषण में उन्होंने कहा कि अगर हमारे धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप किया गया तो हम संविधान के दायरे में आखिरी दम तक लड़ते रहेंगे।

मस्जिदों के खिलाफ चल रहे सांप्रदायिक अभियान पर चिंता 

सभा में वक्फ संपत्तियों, मस्जिदों, इस्लामी मदरसों और पैगंबर मोहम्मद के सम्मान की सुरक्षा को लेकर कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए गए। विशेष रूप से वक्फ संशोधन बिल के विरोध में एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और अन्य धर्मनिरपेक्ष दलों से मांग की गई कि वे इसे विरोध करें। सभा में मस्जिदों के खिलाफ चल रहे सांप्रदायिक अभियान पर गहरी चिंता व्यक्त की गई और पूजास्थलों के विशेष संरक्षण अधिनियम, 1991 के तहत सभी मामलों को समेकित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से एक संविधान पीठ का गठन करने की अपील की गई। सभा में भाग लेने वालों ने अदालत से अपील की कि अनुच्छेद 142 और 139ए के तहत इस मामले पर जल्द से जल्द निर्णय दिया जाए, ताकि मस्जिदों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

मदरसों के खिलाफ नकारात्मक प्रचार रोकने की मांग

इसके साथ ही इस्लामी मदरसों के खिलाफ नकारात्मक प्रचार को रोकने की भी मांग की गई। सभा में सोशल मीडिया पर पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ किसी भी प्रकार की गुस्ताखी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की अपील की गई और इसे वैश्विक अपराध घोषित करने की मांग की गई। सभा में मुसलानों से अपील की गई कि वह अपनी आस्था पर मजबूती से डटे रहें और पैगंबर मोहम्मद के सम्मान की रक्षा के लिए हर कानूनी और लोकतांत्रिक तरीका अपनाएं। इस दौरान देश में बढ़ते हुए इस्लामोफोबिया और नफरत की कड़ी निंदा की गई। सभा ने सत्तारूढ़ दल के पदाधिकारियों द्वारा भड़काऊ बयान और सीमांचल में नफरती रैली को देश की अखंडता के लिए खतरा बताया। सभा में जमीअत उलमा-ए-हिंद के अन्य प्रमुख नेताओं सहित किशनगंज के कांग्रेस सांसद जावेद आलम और विधायक मौलाना सऊद असरार समेत कई अन्य प्रमुख हस्तियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

यहां सुनिए भाषण-

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