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Hindi News बिहार अगर नीतीश प्रधानमंत्री बनेंगे तो संख्या बल की कोई समस्या नहीं होगी: कुशवाहा

अगर नीतीश प्रधानमंत्री बनेंगे तो संख्या बल की कोई समस्या नहीं होगी: कुशवाहा

कुशवाहा ने कुछ हफ़्ते पहले नीतीश को पीएम मैटेरियल बताया था और रविवार को जद (यू) की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में पारित प्रस्तावों में कहा गया कि कुमार शीर्ष पद के दावेदार नहीं हैं लेकिन उनके नेता में इसके लिए सभी गुण विद्यमान हैं। 

If Nitish were to become PM, numbers won’t be a problem: Upendra Kushwaha- India TV Hindi Image Source : PTI जदयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी और मंत्री लेसी सिंह आज उपेंद्र कुशवाहा से मिले।

पटना: जदयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी और मंत्री लेसी सिंह आज उपेंद्र कुशवाहा से मिले। वहीं उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि नीतीश कुमार पीएम मैटेरियल हैं, हमने पहले ही कहा था। जो हम बोलते हैं वह आगे आने वाले वक्त में जदयू के सभी नेता मानते हैं। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि एनडीए में फिलहाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं, लेकिन भविष्य का कौन जाने। भविष्य की बात अभी नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री के लिए सत्ता की सर्वोच्च सीट का दावा नहीं कर रहे हैं लेकिन ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई तो संख्या बल की समस्या नहीं होगी।

उपेंद्र कुशवाहा बिहार बीजेपी के कुछ नेताओं की उस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया जता रहे थे कि प्रधानमंत्री बनने के लिए 272 सांसदों के समर्थन की आवश्यकता होती है और जनता दल (यूनाइटेड) के अपने दम पर इतनी सीटें जीतने की संभावना नहीं है। हालांकि, पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘हम वर्तमान में प्रधानमंत्री पद पर दावा नहीं कर रहे हैं। हम एनडीए के साथ हैं और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को स्वीकार करते हैं। लेकिन अगर लोग भविष्य की बात करें तो किसी भी चीज को असंभव कहकर खारिज नहीं किया जा सकता है।’’

कुशवाहा ने कुछ हफ़्ते पहले नीतीश को पीएम मैटेरियल बताया था और रविवार को जद (यू) की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में पारित प्रस्तावों में कहा गया कि कुमार शीर्ष पद के दावेदार नहीं हैं लेकिन उनके नेता में इसके लिए सभी गुण विद्यमान हैं। 

कुशवाहा ने रविवार की घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘जब मैंने पहली बार नीतीश कुमार के पीएम मैटेरियल होने की बात कही थी तो आप में से कई लोगों ने मेरा उपहास किया। अब आप देख सकते हैं। अक्सर ऐसा होता है कि मैं कुछ कहता हूं और बाद में यह एक व्यापक भावना बन जाती है।’’ बता दें कि 2013 में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश किए जाने के बाद नीतीश ने बीजेपी से संबंध तोड़ने का निर्णय किया था और तब उन्हें एक धर्मनिरपेक्ष विकल्प के रूप में देखा गया था। 

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