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Hindi News बिहार डीएम की हत्या के दोषी बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ उतरा IAS एसोसिएशन, बिहार सरकार से कही ये बात

डीएम की हत्या के दोषी बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ उतरा IAS एसोसिएशन, बिहार सरकार से कही ये बात

सेंट्रल IAS एसोसिएशन ने अपने बयान में कहा कि हम बिहार की राज्य सरकार से अपने फैसले पर जल्द से जल्द पुनर्विचार करने का पुरजोर अनुरोध करते हैं। एक मौजूदा वर्गीकरण में संशोधन, जिसके कारण ड्यूटी पर एक लोक सेवक के सजायाफ्ता हत्यारे को रिहा कर दिया गया, ये न्याय से इनकार करने के समान है।

बाहुबली आनंद मोहन सिंह- India TV Hindi Image Source : ANI बाहुबली आनंद मोहन सिंह

सेंट्रल IAS एसोसिएशन ने मंगलवार को गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी.कृष्णया की नृशंस हत्या के दोषी आनंद मोहन सिंह को रिहा करने के बिहार सरकार के फैसले पर गहरी निराशा जताई। नई दिल्ली स्थित एसोसिएशन ने एक बयान में कहा कि ड्यूटी पर एक लोक सेवक की हत्या के आरोप में दोषी को कम जघन्य श्रेणी में पुनर्वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है। बता दें कि बिहार सरकार ने कैदियों से संबंधित कानून में संशोधन किया और बाहुबली नेता आनंद मोहन सिंह सहित 27 लोगों को रिहा कर दिया, जो 5 दिसंबर, 1994 को कृष्णया की हत्या में आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे।

IAS एसोसिएशन ने बिहार सरकार से क्या कहा
सेंट्रल IAS एसोसिएशन ने अपने बयान में कहा कि हम बिहार की राज्य सरकार से अपने फैसले पर जल्द से जल्द पुनर्विचार करने का पुरजोर अनुरोध करते हैं। एक मौजूदा वर्गीकरण में संशोधन, जिसके कारण ड्यूटी पर एक लोक सेवक के सजायाफ्ता हत्यारे को रिहा कर दिया गया, ये न्याय से इनकार करने के समान है। IAS एसोसिएशन ने यह तर्क देते हुए कहा कि इस तरह के फैसलों से लोक सेवकों के मनोबल में गिरावट आती है, जो सार्वजनिक व्यवस्था को कमजोर करता है और न्याय प्रशासन का उपहास भी उड़ाता है।

गोपालगंज के डीएम रहते कृष्णैया की हुई थी हत्या
गौरतलब है कि तेलंगाना में जन्मे IAS अधिकारी कृष्णैया दलित समुदाय से थे। वह बिहार में गोपालगंज के जिलाधिकारी थे। साल 1994 में कृष्णया एक आधिकारिक बैठक के बाद पटना से लौटकर मुजफ्फरपुर पहुंचे थे, तब दुर्दांत गैंगस्टर छोटन शुक्ला के समर्थक उसके शव को श्मशान घाट ले जा रहे थे। इस दौरान शुक्ला के समर्थकों ने कृष्णया की कार पर हमला किया और उन्हें पीट-पीट कर मार डाला। उस वक्त आनंद मोहन अंतिम संस्कार की प्रक्रिया का हिस्सा थे और मुजफ्फरपुर की पुलिस ने चार्जशीट में उन पर लिंचिंग के लिए समर्थकों को उकसाने का अरोप लगाया था। छोटन शुक्ला की मुजफ्फरपुर शहर में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। शुक्ला भूमिहार जाति से था, जबकि उससे सहानुभूति रखने वाले आनंद मोहन राजपूत जाति से आते हैं। 

उल्लेखनीय है कि विधि विभाग की अधिसूचना, नियमों में एक हालिया संशोधन के बाद जारी की गई है, जिसमें सरकारी कर्मचारी/अधिकारी की हत्या या बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों के लिए दोषी ठहराये गये लोगों को 14 साल कैद की सजा पूरी करने के बाद भी रिहा नहीं किया जा सकता था। 

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