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Hindi News बिहार Giriraj Singh: जातीय जनगणना पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का बड़ा बयान, अगर बांग्लादेशी घुसपैठियों को इसमें शामिल किया तो...

Giriraj Singh: जातीय जनगणना पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का बड़ा बयान, अगर बांग्लादेशी घुसपैठियों को इसमें शामिल किया तो...

Giriraj Singh: मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि- 'हमें किसी भी तरह से जातीगत जनगणना से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन अल्पसंख्यकों की जाति लिखी जानी चाहिए। अगर इस जनगणना में बांग्लादेशियों और साथ ही साल 1991 में चिन्हित लोगों को गिना जाएगा तो इसका विरोध करेंगे।'

Union Minister Giriraj Singh- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO Union Minister Giriraj Singh

Highlights

  • अल्पसंख्यकों की जाति लिखी जानी चाहिए: सिंह
  • जनगणना में साल 1991 में चिन्हित लोगों को गिना जाएगा तो विरोध करेंगे: सिंह
  • अग्निवीर स्कीम के विरोध पीछे विपक्ष का हाथ: गिरिराज सिंह

Giriraj Singh: केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने जातीय जनगणना को लेकर बड़ा बयान दिया है। मंत्री ने कहा कि हमें किसी भी तरह से जातिगत जनगणना से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन अल्पसंख्यकों की जाति लिखी जानी चाहिए। गिरिराज सिंह ने कहा कि अगर इस जनगणना में बांग्लादेशियों और साथ ही साल 1991 में चिन्हित लोगों को गिना जाएगा तो इसका विरोध करेंगे। सिंह ने यह बयान मुजफ्फरपुर जिले में स्वामी सहजानंद सरस्वती की पुण्यतिथि पर आयोजति कार्यक्रम में शामिल होने के दौरान दिया। वहीं अग्निवीर स्कीम के विरोध पर उन्होंने कहा कि इसमें विपक्ष का हाथ है। 

पिछड़ा वर्ग को शांत करना उद्देश्य

जाति आधारित जनगणना के लिए मुख्यमंत्री की पार्टी जद (यू) और उनकी प्रतिद्वंद्वी लालू प्रसाद की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) श्रेय लेने का दावा कर रही हैं, इसका उद्देश्य अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को शांत करना है जोकि संख्यात्मक रूप से शक्तिशाली हैं और तीन दशक पहले मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू किए जाने के बाद से बिहार में राजनीति पर हावी रहे हैं।

भाजपा को आपत्ति क्यों? 

मुख्य रूप से उच्च जाति के हिंदुओं की पार्टी के रूप में देखी जाने वाली भाजपा ने सर्वदलीय बैठक में कुछ आपत्तियां व्यक्त की थीं, जिसके बाद इस महीने की शुरुआत में जनगणना के लिए कैबिनेट की मंजूरी मिली थी। केंद्र में सत्तारूढ़ और राज्य में सत्ता साझा करने वाली भाजपा की पहली आपत्ति यह थी कि उच्च जाति के मुसलमानों को उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति के बारे में गलत जानकारी देकर ओबीसी कोटे का लाभ उठाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। दूसरी आपत्ति यह थी कि अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों को इस कवायद से बाहर रखा जाना चाहिए, जिनकी पड़ोसी देश के करीब सीमांचल क्षेत्र में बड़ी संख्या में होने की अफवाह है, ऐसा न हो कि वे नागरिक होने का दावा करना शुरू कर दें और संबंधित लाभों की मांग करें।