लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस में उभरा 'अंतर्कलह', नेताओं के बीच होने लगी जांच करवाने की बात
लोकसभा चुनाव के दौरान टिकट को लेकर भी कांग्रेस में नाराजगी दिखी थी। उस समय कई सीटों पर दूसरे दलों से आए नेताओं को टिकट देने के बाद सवाल उठाए गए थे। कार्यकर्ताओं को दरकिनार करना भी कांग्रेस को भारी पड़ गया।
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने बिहार में पिछले चुनाव से भले ही बेहतर प्रदर्शन करते हुए अपनी सीटों में इजाफा किया हो, लेकिन अब हार के कारणों को तलाशने के दौरान 'अंतर्कलह' भी उभरकर सामने आने लगा है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने भी भितरघात के कारण चुनाव में अपेक्षित सफलता नहीं मिलने की बात करते हुए ऐसे लोगों पर कार्रवाई करने के संकेत दिए हैं।
9 सीटों पर उतारे उम्मीदवार, तीन पर मिली जीत
इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने महागठबन्धन के तहत 9 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें तीन सीटों पर पार्टी सफल रही। अब हारी सीटों को लेकर समीक्षा होने लगी है। भागलपुर लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी अजीत शर्मा को हार का मुंह देखना पड़ा। यहां हार की समीक्षा बैठक के दौरान ही अंतर्कलह साफ दिखा। समीक्षा बैठक के दौरान ही भागलपुर जिला अध्यक्ष परवेज जमाल ने हार का ठीकरा भागलपुर के प्रत्याशी अजीत शर्मा पर फोड़ दिया। जिला कमेटी ने साफ तौर पर कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं का सम्मान नहीं किया गया और उन्हें दरकिनार कर दिया गया। अजीत शर्मा पार्टी के कार्यकर्ताओं पर ही सहयोग नहीं देने के आरोप लगाते हैं।
समय रहते क्यों नहीं लिया एक्शन?
सूत्र बताते हैं कि चुनाव के दौरान ही कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह को भान हो गया था कि कई क्षेत्रों में प्रत्याशियों को भितरघात का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन, उस समय कार्रवाई उचित नहीं समझी गई। चुनाव के बाद प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि लोकसभा चुनाव में कुछ गड़बड़ियां हुई। पार्टी नेताओं द्वारा अनुशासनहीनता के मामले सामने आ रहे हैं। पार्टी के जो लोग चाहे किसी भी स्तर के हों, इस तरह की गतिविधि में लिप्त पाए जाने पर अनुशासनात्मक कारवाई की जाएगी। इस दौरान उन्होंने जांच करवाने की भी बात कही।
दलबदलुओं को टिकट पर सवाल
कहा जा रहा है कि अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और कांग्रेस लोकसभा चुनाव की गलतियों को किसी भी हाल में दूर करना चाहती है। वैसे, लोकसभा चुनाव के दौरान टिकट को लेकर भी कांग्रेस में नाराजगी दिखी थी। उस समय कई सीटों पर दूसरे दलों से आए नेताओं को टिकट देने के बाद सवाल उठाए गए थे। ऐसे लोगों का इशारा मुजफ्फरपुर प्रत्याशी अजय निषाद, समस्तीपुर से सन्नी हजारी और महाराजगंज से आकाश सिंह की ओर था।
कार्यकर्ताओं को दरकिनार करना कांग्रेस को पड़ा भारी
कांग्रेस विधायक प्रतिमा दास ने तो चुनाव में अपेक्षित सफलता नहीं मिलने के लिए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष को ही जिम्मेदार ठहराया है। युवक कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पिछले विधानसभा चुनाव में सुल्तानगंज के प्रत्याशी ललन कुमार कहते हैं कि इस चुनाव में भागलपुर प्रत्याशी ने कांग्रेस नेताओं को पूछा तक नहीं। भागलपुर जिले का ही सुल्तानगंज इलाका है। कार्यकर्ताओं को दरकिनार करना कांग्रेस को भारी पड़ गया। (IANS इनपुट्स के साथ)
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