बिहार के दोनों डिप्टी सीएम को मिली Z+ श्रेणी की सुरक्षा, जानें ये क्या होती है?
बिहार में दो डिप्टी सीएम बनाए गए हैं। दोनों डिप्टी सीएम को जेड प्लस की सुरक्षा व्यवस्था दी गई है। जानिए क्या होकी है जेड प्लस सुरक्षा और किन-किन लोगों को मिली है ये सुरक्षा?
बिहार में अब महागठबंधन नहीं, एनडीए गठबंधन की सरकार है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही हैं। बिहार में दो डिप्टी सीएम बनाए गए हैं जो बीजेपी कोटे से हैं। दोनों डिप्टी सीएम के नाम- सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा है। दोनों डिप्टी सीएम की सुरक्षा बढ़ा दी गई है और दोनों को को जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा दी गई है। बता दें कि पहले से इन दोनों नेताओं के पास सीआरपीएफ की वाई श्रेणी की सुरक्षा मिली हूई थी। साथ ही ये बात भी जानना जरूरी है कि जेड प्लस सुरक्षा को सर्वोच्च सुरक्षा घेरा माना जाता है।
जानिए क्या होती है जेड प्लस सुरक्षा
जेड प्लस सुरक्षा में 10 से ज्यादा एनएसजी कमांडो और पुलिसकर्मी समेत 55 ट्रेंड जवानों की तैनाती होती है। इन कमांडोज का काम संबंधित व्यक्ति की 24 घंटे सुरक्षा प्रदान करनी होती है।
जेड प्लस श्रेणी वीवीआईपी को ही दी जाती है।
देश में पीएम नरेंद्र मोदी और बिहार के सीएम नीतीश कुमार जैसे नेताओं को जेड प्लस सुरक्षा मिली हुई है।
इस सुरक्षा में नएसजी कमांडो तैनात होते हैं और ये जवान हर तरह से ट्रेंड होते हैं।
ये जवान किसी भी तरह की चुनौती से निपटने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।
इनके पास मॉर्डन टेकनॉलजी के हथियार होते हैं।
कौन हैं बिहार के दोनों नए डिप्टी सीएम?
बिहार में दो डिप्टी सीएम बनाए गए हैं। इनमें से ओबीसी नेता सम्राट चौधरी शकुनी चौधरी के बेटे हैं जिन्होंने राबड़ी देवी के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री के रूप में राजनीति के क्षेत्र में कदम रखा था। सम्राट चौधरी ने राजद छोड़ जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाली जदयू सरकार में शामिल हो गए। फिर बीजेपी में शामिल हुए तो पार्टी ने सम्राट चौधरी को प्रदेश का उपाध्यक्ष बनाया और बाद में उन्हें बिहार विधान परिषद में भेजा।. पिछले साल मार्च में राज्य बीजेपी अध्यक्ष नामित किया गया था।
सवर्ण जाति से ताल्लुक रखने वाले नेता विजय कुमार सिन्हा राज्य विधानसभा में अध्यक्ष, राज्य सरकार में मंत्री और नेता प्रतिपक्ष जैसे विभिन्न पदों की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। उन्हें बीजेपी विधायक दल का उपनेता चुना गया। प्रभावशाली भूमिहार समुदाय के विजय सिन्हा 2010 में पहली बार विधायक बने और सात साल बाद उन्हें श्रम संसाधन मंत्री बनाया गया था। 2020 में बिहार विधानसभा के अध्यक्ष पद के लिए चुना गया।