बिहार: अपनों से दूर हुए 'रिश्तेदार', अनजान चेहरे बने 'मददगार'
कोरोना के इस संक्रमण काल में संक्रमित परिवारों के लिए खून के रिश्ते जहां लाचार हो रहे हैं, वहीं अनजान चेहरे मददगार बन रहे हैं। इस दौर में 'अपने' जहां दूर रह रहकर कोई मदद नहीं कर पा रहे हैं, वहीं अनजान चेहरे फरिश्ते बन खून के रिश्ते पर भारी पड़ रहे हैं।
पटना: कोरोना के इस संक्रमण काल में संक्रमित परिवारों के लिए खून के रिश्ते जहां लाचार हो रहे हैं, वहीं अनजान चेहरे मददगार बन रहे हैं। इस दौर में 'अपने' जहां दूर रह रहकर कोई मदद नहीं कर पा रहे हैं, वहीं अनजान चेहरे फरिश्ते बन खून के रिश्ते पर भारी पड़ रहे हैं। कोरोना को हराने के लिए लोग एकजुट होकर मदद कर रहे हैं। कोरोना संक्रमितों की लिए मदद के हाथ उठ रहे हैं। कोई अनजान संक्रमितों को खाना पहुंचा रहे, तो कई जरूरतमंद मरीजों को मुफ्त में ऑक्सीजन मुहैया करा रहे हैं। कोई रेमडेसिविर की व्यवस्था कर मरीजों तक पहुंचा रहा है तो कोई गांव से आने वाले मरीजों का उचित मार्गदर्शन कर उन्हें इलाज की समुचित व्यवस्था दे रहा है।
कई लोग ऐसे भी हैं जो सोशल मीडिया पर ही जरूरतमंदों की परेशानी दूर कर रहे हैं। कोरोना की दूसरी लहर में लोग आशंकित जरूर हैं, लेकिन मदद के लिए आगे भी आ रहे हैं। संक्रमित परिजनों ने सोशल मीडिया पर ही अगर जरूरत की मांग की तो सैंकडों लोग उसे सरकार, अधिकारी तक पहुंचा कर ऐसे लोगों की मदद कर रहे हैं।
ट्विटर के जरिए लोगों की मदद करने और मरीजों की समस्या अधिकारियों और सरकार तक पहुंचाने में लगे पूर्णिया के गिरीन्द्र नाथ झा कहते हैं कि इस कोरोना काल में जो भी मदद हो सके कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि आज लोग आमतौर पर एकल परिवार के रूप में रह रहे हैं, ऐसे में इस संक्रमण के दौर में संक्रमित होने के बाद परेशनी बढ़ जा रही है। कई लोग सोशल साइटों पर ही मदद की गुहार लगाते हैं। उनकी बातों को अधिकारियों तक पहुंचाकर संक्रमित परिवार को मदद मिल जा रही है।
इधर, पटना के राजीव नगर के रहने वाले समाजसेवी विशाल सिंह की टीम भी सोशल साइटों के जरिए लोगों की मदद पहुंचा रहे हैं। सिंह कहते हैं कि इस काल में किसी का परिवार अगर अन्य प्रदेशों में हैं, तो वह चाहकर भी यहां नहीं पहुंच पा रहे हैं। ऐसे में मानवता के नाते कोरोना संक्रमित परिवारों को जहां तक हो रहा है, मदद की जा रही है। उन्होंने कहा कि ऐसे परिवारों को ढाढस बंधाना भी बड़ा काम का होता है। इधर, इस दौर में पटना के रहने वाले गौरव राय की पहचान 'ऑक्सीजन मैन' के रूप में बन गई है। राय जरूरतमंदों के लिए मुफ्त में ऑक्सीजन पहुंचा रहे हैं। मरीजों के लिए वे ऑक्सीजन बैंक चला रहे हैं और वे खुद संक्रमितों के घर ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंचा रहे हैं।
वैसे, कोरोना संक्रमितों की रफ्तार जिस तेजी से बढ़ रही है, उसमें लोगों की खासकर संक्रमित परिजनों की परेशानियां भी बढ़ी हैं। ऐसे लोगों की परेशानियां और बढ़ गई हैं, जो घरों पर क्वारंटीन हैं।
एक संक्रमित परिवार के मुखिया नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर बताते हैं, उनका बेटा दिल्ली में नौकरी करता है। यहां हम सभी परिजन संक्रमित हो गए। वह चाहकर भी यहां नहीं आ सका, लेकिन कई अनजान चहेरे मददगार के रूप में पहुंच गए और उनलोगों की मदद से आज हम सभी संक्रमणमुक्त हो चुके हैं। वे कहते हैं कि आज संक्रमणमुक्त हुए कई दिन गुज गए, लेकिन सब्जी और जरूरत का सामान घर पहुंच जा रहा है।